Menu
blogid : 2326 postid : 1263025

इंसान परेशान यहां भी है …

aaina
aaina
  • 199 Posts
  • 262 Comments

/ निदा फ़ाज़ली/
इन्सान में हैवान यहाँ भी है वहाँ भी
अल्लाह निगहबान यहाँ भी है वहाँ भी |
खूँख्वार दरिंदों के फ़क़त नाम अलग हैं
शहरों में बयाबान यहाँ भी है वहाँ भी |
रहमान की कुदरत हो या भगवान की मूरत
हर खेल का मैदान यहाँ भी है वहाँ भी |
हिन्दू भी मज़े में हैमुसलमाँ भी मज़े में
इन्सान परेशान यहाँ भी है वहाँ भी |
उठता* है दिलो-जाँ से धुआँ दोनों तरफ़ ही
ये ‘मीर’ का दीवान यहाँ भी है वहाँ भी |

अभी केरल में बी०जे०पी० की राष्ट्रीय कार्य परिषद् में देश के उरी सैन्य शिविर पर हुए हमले के सन्दर्भ में प्रधानमन्त्री द्वारा पाकिस्तान के अवाम को संबोधित किये जाने से हर किसी को आस्चर्य हुआ होगा ,जब उन्होंने कहा आओ लड़ाई करते है गरीबी ,बेरोजगारी ,असमानता के खिलाफ और देखते है कौन पहले जीतता है ,इन समस्याओं का समाधान कौन पहले करता है ..

उरी सैन्य शिविर पर हुए हमले में देश के २० जवान शहीद हुए . पूरे देश में पाक के खिलाफ भारी आक्रोश है , हर कोई इन शहीदों की कुर्बानी का पाक से बदला चाहता है . सर्व विदित है पाकिस्तान अशांत देश है ,आतंकियों के सैरगाह बना हुआ है या तो मानवता के हत्यारे इन आतंकियों पर पाक के हुक्मरानों का वश नहीं है अथवा रंजिश-दुश्मनी के रहते पाक के हुक्मरान आये दिन भारत के धैर्य नीति और आदर्श की परीछा ले रहे है . यदि इन आतंकियों पर उसका वश नहीं है तो स्वीकार करना चाहिए ताकि भारत पाक में संचालित आतंक के अड्डों को तबाह कर सके ,अन्यथा स्पस्ट है पाक आतंक का केंद्र बन गया है .जो पडोसी देश ही नहीं अपने नागरिकों के जीवन से भी आये दिन खेल रहा है.इस बार पाक को उसकी दुष्टता के लिए छमा नहीं किया जाएगा ..अब और नहीं . संयम की भी सीमा होती है . सही है कि हमारा देश मानव मूल्यों का पोषक और अहिंसक नीति का समर्थक है ,इस देश के दर्शन -संस्कृति और विचार समूचे विश्व के लिए मार्गदर्शक रहे है . पाकिस्तान का चेहरा विश्व के समछ बेनकाब हो गया है .आतंक के सौदागर से विभिन्न देश सम्बन्ध तोड़ने का मन बना चुके है . और यह भारत की कूटनीतिक विजय है .


प्रधानमन्त्री ने ठीक ही कहा अब पाक के अवाम को ही तय करना है आर पार का युद्ध जरुरी है ,जिसमे दोनों देशों के लाखों करोड़ों निरीह नागरिक मारे जाएंगे अथवा गरीबी ,बेरोजगारी ,असमानता के खिलाफ अंतिम परिणामजन्य युद्ध किया जाए . पाक के हुक्मरान भलीभांति जानते है सैन्य युद्ध में यदि भारत को विवश किया गया तो पाक कई टुकड़ों में बिखर जाएगा ..उसकी सामर्थ्य ही क्या है .

जहां तक अपने देश के नागरिको के गुस्से का प्रश्न है , जायज है .आखिर कब तक सीमा पार से आये फिदाइन आतंकी हमला करेंगे और हमारे सैनिक अपनी कुर्बानियां देंगे ..पाक के लिए अपने आतंकियों के जीवन का कोई मोल हो ना हो हमारे लिए एक एक सैनिक की जान वेशकीमती है . ताज्जुब होता है कैसे मां-बाप है जो अपने बालकों को फिदाइन बना रहे है ..कैसे है पाक के हुक्मरान जो अपने नागरिको के पेट पर बम बाँध रहे है .,,या इसके लिए उनको विवश कर रहे है .? धिक्कार है ऐसे माता पिता को ..और उनकी परवरिश को . पाक के बुद्धजीवियों को अपने हुक्मरानों के खिलाफ खड़ा होना ही होगा उनसे सवाल करने होंगे ..आतंक के व्यवसाय से उनके नागरिकों को क्या मिला ..या मिलेगा ?
.
बदले के आग में दहक रहे अपने देश में भी कुछ महानुभाव है ,जो आवेश में कह रहे है युद्ध हो जाने दो ..२०-२५ करोड़ मर भी जाएँ तो क्या होगा ..पाक तो पूरा ख़त्म हो ही जाएगा ..यही ..यही वो मानसिकता है जो किसी को आतंकी बनाती है , इसी कारण विश्व में यहाँ-वहां बम -मिसाइलें -बारूद बरस रहा है और आये दिन मानवता के चीथड़े उड़ रहे है ..अबोध बच्चे -बूढे -जवान -स्त्रियां खरपतवार की तरह नस्ट हो रहे है ..क्यों ? सिर्फ स्वार्थ -व्यापार -संसाधनों पर अपने देश का कब्ज़ा —विश्व में हिंसा का तांडव हो रहा है और हर देश मानसिक तौर पर ही सही इसमें शामिल दिखाई दे रहा है . –मानवता आत्मघात पर आमादा है . ,जबकि करोडो -करोडो नागरिक कुपोषण ,गरीबी से पीड़ित है ,बेरोजगार है ..दवा के अभाव में मर रहे है ,शिछा सबको सुलभ नहीं है फिर …युद्ध चाहिए ? किसके लिए ?


देश की जनता को भी अपने नेताओ से पूछना चाहिए ..वर्तमान और निवर्तमान सरकारों ने गरीबी ,बेरोजगारी ,असमानता ,शिछा -चिकित्सा ..जैसे मूलभूत प्रश्नों के सम्बन्ध में क्या किया ? ..जब आज प्रधानमन्त्री कह रहे है आओ गरीबी ,बेरोजगारी ,असमानता ,कुपोषण के खिलाफ युद्ध करते है ..तो प्रश्न वाजिब है ..क्यों किसान आत्महत्या कर रहे है ? कभी स्व० प्रधानमन्त्री इंदिरा जी ने नारा दिया था गरीबी हटाओ ..दशकों बाद प्रधानमंत्री फिर कह रहे है ..क्यों
?जनता ने बड़ी उम्मीद और आकांछाओं के साथ बी ०जे ० पी ० को सत्ता की बागडोर सौंपी थी ,लेकिन लगभग आधा कार्यकाल समाप्त होने को है और जनता एक बार फिर स्वयं को छला हुआ अनुभव कर रही है . बड़ी बड़ी बातें , अच्छेदिन की जुमलेबाजी से कब तक जनता को भरमाया जा सकेगा .

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh