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कश्मीर में उरी सैन्य अड्डे पर बड़े आतंकी हमले में एक बार फिर देश की सुरछा एजेंसियों की घोर लापरवाही उजागर हुई है ,जिसमे देश के २० जवान शहीद हुए है ,दर्जनों घायल है ,भले ही ४ फिदाइन आतंकी भी मारे गए है ,लेकिन देश की संप्रभुता ,गौरव और सम्मान को इस हमले ने भारी आघात पहुँचाया है ,
इससे पूर्व इसी वर्ष पठान कोट सैन्य अड्डे पर आतंकी हमला करने में कामयाब हुए थे . प्रश्न अति गंभीर है क्योंकि अब हमारे सैन्य अड्डे भी सुरछित नहीं रह गए है .. इस तथ्य से कोई इनकार नहीं कर सकता की इसके पीछे हमारा चिर परिचित दुश्मन पाकिस्तान ही है . सूत्र यह भी स्पस्ट कर रहे है कि अति संवेदनशील सैन्य अड्डों पर हमलो के पीछे देश के गद्दारों की मिलीभगत है .,जिनके सहयोग के बिना ये आतंकी हमले हो ही नहीं सकते थे .
विगत ६०-७० दिनों से देश की जन्नत कहे जाने वाला कश्मीर सुलग रहा है , ७०-८० जवान शहीद हो चुके है , दर्जनों घायल है, सैकड़ों नागरिक पेलेट गन से बुरी तरह चोटिल है ., उनकी आँखों की रौशनी चली गयी है ..जम्मू-कश्मीर में दहशत है -सन्नाटा है , कर्फ्यू है , ऑफिस -बाज़ार .स्कूल सब बंद है .सड़को-गलियों में सैनिको के बूटों की दहशत है या पाकिस्तान के उकसावे पर नाराज पत्थरबाज नागरिको का हंगामा है . यह कहना उचित ही है कि जब से पीडीपी -बी-जे-पी गठबंधन की सरकार बनी है ,यहां के हालात बद से बदतर हो गए है . केंद्र सरकार की हरसंभव कोशिश के बावज़ूद भी हालात काबू में नहीं आ रहे है .इसके पीछे हुर्रियत जैसे संगठनों की शैतानियों से भी इनकार नहीं किया जा सकता ,जो इस देश का खाते-पीते है और पाकिस्तान के गीत गाते है .
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उरी सैन्य अड्डे पर हुए हमले में में शहीद हुए तिरंगे में लिपटे हुए जाबांजो को पूरा देश नम आँखों से विदाई दे रहा है , गाँव-शहर -चौबारे उदास है ..पाकिस्तान के विरोध में जगह जगह धरने-प्रदर्शन हो रहे है ,भिंची हुई मुट्ठियाँ लहरा रही है –अपने जाबांज सपूतों की कुर्बानी का हिसाब मांग रही है . इस अमानवीय कायराना कृत्य के लिए समूचा विश्व पाकिस्तान को धिक्कार रहा है ,उसे बाज आने की नसीहत दे रहा है , यहां तक कि पाक को आतंकी देश घोषित किये जाने की मांग भी की जा रही है …
मुम्बई हमला हो या पठानकोट हमला हर बार हमारे देश ने पाक के खिलाफ सबूत दिए है और पाक ने इनकार कर दिया है इस बार भी पाकिस्तान उरी हमले में संलिप्तता से मुकर रहा है . अमेरिका ने हर बार पाकिस्तान को चेतावनी देने का उपक्रम किया है ..इस बार भी ..लेकिन अमेरिका हर बार पाक को आर्थिक और सैन्य सहायता देता रहा है . भले ही भारत से निकटता का ढोंग अमेरिका करता रहा है ..लेकिन व्यापारिक हित उसके लिए सर्वोच्च है , हथियारों का सौदागर जो ठहरा .
अमेरिका से दोस्ती का विशेष प्रदर्शन भारत के लिए कितना हितकारी है ,यह विदेशी मामलो के जानकारों के लिए बहस का मुद्दा हो सकता है , लेकिन इन संबंधों ने चीन और पाकिस्तान को निकट ला दिया है . सर्वविदित है अमेरिका की इराक़-अफगानिस्तान में सैन्य कार्यवाही से विश्व का समुदाय- विशेष आक्रोशित है . अत: भारत को विदेश नीति की पुनः समीछा किये जाने की जरुरत है ,साथ ही देश की सीमा-सुरछा पर विशेष ध्यान देना होगा . ग्रामीड़ कहावत है ” चीज ना राखे अपनी चोर को गाली देय ” देश की सुरछा में सेंध लगाने में आतंकी बार -बार क्यों कामयाब हो रहे है ? देश के सीमा-सुरछा बल और सुरछा एजेंसियां क्या कर रही है ?
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