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चचा कह रहे है सर्जरी की जरूरत है ,मामला गंभीर हो गया है ,कोई कह रहा है आत्म मंथन की जरूरत है ..फलाने की जगह ढिकाने को कांग्रेस की कमान सम्हालनी चाहिये .क्योंकि फलाना सियासी शतरंज में घोड़े की तरह ढाई घर की चाल नहीं चल पा रहा है ..राजनीति में गधे-खच्चर की चाल भी कोई चलता है क्या ?श्री श्री विवादी स्वामी ने पहले ही फलाने का भविष्य बांच कर कह दिया था -ये गधा है .अब ये भी कोई बात हुई फलाने और ढिकाने के अलावा कोई है ही नहीं कांग्रेस में ..धत ..नाल गढ़ा है क्या ?…
अंदरखाने मे भारी हलचल है,चिंता है ,माथे पर शिकन है .भयंकर गर्मी मे कांगेस के हिमायतियो को कँपकँपी छूट रही है -डूबती नय्या देख नए क्या पुराने कांग्रेसी भी अगल-बगल देख रहे है .अगले साल विधानसभा चुनाव तक हो सकता है कई कांग्रेसी दिग्गजों का ह्रदय परिवर्तन हो जाए –या अंतरात्मा जाग कर बेनी प्रसाद वर्मा हो जाये –और तो और मीडिया मे बहस -मुबाहिसों का चटखारेदार दौर शुरु हो गया है . मजबूरी है जब तक कोई नई सुर्खिया नहीं मिलती तब तक फलानी ढीकनी चर्चा करनी ही होगी ,.
पांच विधानसभा चुनाव परिणामो ने रास्ट्रीय राजनीति मे जैसे भूचाल ला दिया है .सत्ताधारी पार्टी के नुमाइंदे ज़ोर- ज़ोर से गाल बजा रहे है -देख लो देश कांग्रेस मुक्त हो रहा है -जैसे २ साल के राज़ में अपनी उपलब्धियां गिना रहे हो देखो देश गरीबी-बेरोजगारी से मुक्त हो रहा है ,वादे के मुताबिक मंहगाई से मुक्त हो रहा है -अपने धुर विरोधी या कहे संसद में एकमात्र प्रबल विपछि को धूल चटाकर केंद्र सरकार मदमस्त हो रही है -जश्न का आलम है .
. देश के दार्शनिक ओर विचारक कहे जाने वाले महानुभाव चिंतित है कि सवा सौ साल पुरानी पार्टी,जिसका आजादी के संघर्ष मे महान योगदान है ,इस तरह सिमटना रास्ट्र हित मे नही है क्योंकि अभी कांग्रेस के अलावा दूसरी कोई रास्ट्रीय विपछ नही है .यदि कांग्रेस कमज़ोर हुई तो देश मे तानाशाही का दौर शुरु हो जायेगा ..जितने मुंह उतनी बातें देश की राजनीति मे शोर शराबा कर रही है ,तो कांग्रेस की खाली होती जगह भरने के लिये कई छेत्रीय पहलवान मैदान मे ताल ठोक कर दावा पेश कर रहे है ,अपने सिक्स पेक बनाने के लिए दण्डबैठक लगा रहे है .
. अमां चचे बेकार का शोरगुल काहे को मचाये हो .सवा सौ साल बहुत होते है .इस उम्र मे बड़े से बड़ा डॉक्टर भी मरीज की सर्जरी से इंकार कर देता है ..मुम्बईया फिल्मो की तर्ज़ पर कहता है -अब भगवान ही भला करेंगे -भजन करो . ..ठीक है आजादी के संग्राम मे कांग्रेस की बड़ी भूमिका है -देश को बनाने मे भी कांग्रेस के योगदान से इंकार नही किया जा सकता .यह भी सही है कांग्रेस के कई नेताओ ने जीवन भी कुर्बान किया है -तो चचे कुर्बानी की कीमत मय ब्याज के वसूल भी तो की है – .ए भी कोई बात हुई कि कांग्रेस सिमट रही है . कांग्रेस तो कांग्रेस, दार्शनिक ओर विचारक कहे जाने वाले कुछ प्राणी भी छाती पीट रहे है ..कि हाय हाय ए क्या किया रे दुनिया वाले –
देखो चचे अपन का दर्शन कहता है कोई मरता नही ,कोई मारता नही -सब विधि का खेला है -कांग्रेस खत्म हो सकती है ,उसका बहुलतावादी रास्ट्रवादी विचार अन्य पार्टियो की नीति-विचारो के समांतर हमेशा प्रासंगिक रहेगा -उसका पुनर्जन्म किसी अन्य नाम- रूप वाली पार्टी -गठबंधन मे अवतरित होना नियत है ..वर्तमान रास्ट्रीय परिदृश्य मे संगठित ओर सशक्त विपछ की महती आवश्यकता है –आज ही नही यह भावना और विचार सदेव हमारे देश के लोकतंत्र का एकमात्र स्वर रहा है .
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