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हाल फिलहाल देश में “ललितलीक्स ” दनादन नित नए खुलासे कर वर्तमान राजनीति और समाज के लब्ध-प्रतिष्ठित महानुभावो की बखिया उधेड़ रहा है ..उनके चाल-चरित्र और चेहरे का नकाब नोंच रहा है . जो पूर्व धारणा की पुष्टि भर कर रहा है की हमारा देश सदा से चंद थैलीशाहों -नेता-अफसर के निजी स्वार्थ का गन्दा गठजोड़ रहा है और अब ललितकाण्ड में कुछ न्यायधीशः और पत्रकारों का नाम उजागर होने से महान भारत की अवधारणा निश्चित ही खंडित हुई है …तथ्यपरक तमाम सवालो से उठा भूचाल देश के प्रबुद्ध नागरिको के मन -मष्तिष्क को मथ रहा है
इससे भी अधिक शर्मनाक और विचलित करने वाली वाली बात ये है की कथित भगोड़े अपराधी ललित मोदी के साम्राज्य के लाभार्थी आरोपित मंत्री -नेता इस प्रकरण में रहस्य्मय चुप्पी साध गए है ..यहाँ तक कि उनसे सम्बंधित राज घराने भी इन कुकृत्यो का गहन संज्ञान नहीं ले रहे है ..न ही कदाचार-भ्रस्ट आचरण में लिप्त इन लोगो के विरुद्ध किसी कार्यवाही के संकेत दे रहे है वरन बड़ी बेशर्मी से उलजुलूल तर्क देकर इस गंभीर मामले को ठंडा करना चाहते है .
हर रोज ट्विटर पर नए खुलासे कर ललित मोदी देश क़ी विश्वसनीयता , मान- मर्यादा खंडित कर रहा है और देश-विदेश के अखबारों क़ी सुर्खिया तो टीवी चेनलो में ब्रेकिंग न्यूज बना रहा है .एक तरह से देश के मीडिआ को खुद नियंत्रित कर रहा है . सरकार क़ी बेबस चुप्पी नागरिको को हैरान कर रही है . बाजे-गाजे- ढोल-नगाड़े पीट पीट कर नीति-आदर्श -सिद्धान्तो क़ी दुहाई देकर सत्ता में आई सरकार के चरित्र पर संदेह उत्पन्न हो रहा है जो स्वाभाविक है .डिजिटल इंडिया योजना में सामयिक प्रश्नो के सन्दर्भ में सरकार के कृत्य ,चाल- चरित्र -व्यवहार पर अपेछित पारदर्शी व्यवस्था होनी चाहिए ..
हर नागरिक के मन में प्रश्न उठना स्वाभाविक ही है क्या पूर्व क़ी भाँति देश और इसकी नीतिया ललित मोदी जैसे शातिर और उनके एहसानमंद चाटुकार अफसर-नेता ही तय करते रहेंगे ?
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