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वाह साब वाह चित भी मेरी पट भी मेरी ! राजनीति में ऐसा भी भला होता है क्या ..अब जब ओखली में सर दिया है तो मूसली से क्या डरना ..ये कोई जंतर मंतर नहीं है जनाब यहां एक एक कदम फूँक फूँक के रखना है ..अब जब १५ साल पुराने बरगद को उखाड़ फेंका है तो उस पर बैठे देवी-देवता और भूत प्रेत नाराज नहीं होंगे और तुमने तो महाराजा के अश्वमेघ को भी थामने का दुस्साहस किया है बालक ..इतनी हिम्मत …दोनों महान राजदलो को अपना दुश्मन बना लिया .अब भुगतो ..
भैया जब कुर्सी सम्हाली है तो कुर्सी के दांव पेंच भी सीखो ..ये क्या कि हर दुसरे दिन छोटे बच्चो के तरह बाहर वाले से मार खाकर टसुवे बहाने लगते हो ..विरोधी हमें काम नहीं करने दे रहे, षड्यंत्र रच रहे है ..विरोधियों का यही दायित्व है सत्ताधारी को चाहे जैसे टंगड़ी मारो ..अमा क़ानून -संविधान और नैतिकता क्या होती है राजनीति में ? ये तो वही बात हुई नाच न जाने आँगन टेड़ा …सीखो विरोधियो से –ये धुरंधर देश की राजनीति -कूटनीति में तपे है –दांव पेच के गुर सीखो कैसे किसको कहा धोबीपाट मारना है –अगले की कमजोर नस पर दे मारो लात जोर की –धड़ाम से खींच लो टांग –गिरादो चारो खाने चित्त ..बेकार की आदर्श -नीति का ढिंढोरा मत पीटो ..देखते हो आजादी के इतने सालो तक आदर्श -नीति और नैतिकता की दुहाई देने वाले राजदलो ने देश का क्या हाल कर दिया है …
अभी जुमा जुमा १०० दिन जैसे तैसे पूरे किये है और पार्टी में क्या- क्या कलेस नहीं हुआ ! थिंक टेंक कहे जाने वाले कौटिल्य योगेन्द्र भाई और प्रशांत -शान्ति भूषन जी के साथ क्या- क्या ड्रामे नहीं हुए ..आम जनमानस में थू थू हुई सो अलग …अब कोन सही है कौन गलत ये इतिहास तय करेगा ..अगर तुम्हारी पार्टी का कोई इतिहास लिखा गया तो …
ये तय है सब कुछ ठीक ठाक नहीं चल रहा है ..शायद कुछ ग्रह ख़राब है –किसी पण्डे-मोलवी को अपनी और पार्टी की जनम कुंडली दिखवा लो और शनि-राहु-केतु -मंगल शान्ति के झट से उपाय करो ..वर्ना पार्टी के आसार कुछ ठीक नहीं लग रहे …अब तुम्हारे क़ानून मंत्री तोमर जी का फर्जीवाड़ा सुर्ख़ियों में है … पहले क़ानून ची के खिलाफ उनकी धर्मपत्नी जी ने ही मोर्चा खोल दिया है ..आखिर एकसाथ कितने मोर्चो पर तुमको अपनी चतुराई का परिचय देना है ….और देखो भाई ये अच्छी बात नहीं है कि एक ही लाठी से मीडिआ -बीजेपी , कांग्रेस
और लगभग सभी को हाँक रहे हो …राजनीति का पहला सबक यही है दुश्मन को भी दोस्त बनाओ …फिर ..फिर क्या अब भी नहीं समझे ,धत !
सलाह यही है पहले अपना घर ठीक- ठाक करो, दिल्लीवासियों का दर्द दूर करो और राजनीति की शतरंज सीखो ..साम- दंड -भेद -षड्यंत्र सब जायज है ..कहावत पुरानी है
मोहब्बत , जंग और राजनीति में कोई नीति-नैतिकता-आदर्श नहीं है . अपने घुर विरोधियो से सबक लो -सीखो फिर चाल चलो …तथास्तु ! सदा कुर्सीवान बने रहो !
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