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अन्ना आन्दोलन ने समूचे देशवासियो मे राजनीतिक दुश्चक्र से मुक्ति का एक सपना जगाया था ओर भ्रस्टाचार ओर महंगाई से त्रस्त नागरिको ने अरविन्द केजरीवाल के जुझारू व्यक्तित्व मे अपना मसीहा ढूंड लिया था ..फिर आम आदमी पार्टी का राजनीतिक छितिज पर उदय हुआ ओर दिल्ली विधानसभा चुनाव मे आप पार्टी को मिली विस्मयकारी विजय ने सभी राज दलो को चकाचोंध कर दिया राजपंडितो ने इसे मिनी क्रांति का नाम भी दे दिया .देश की राजधानी से उठा तूफ़ान देश की गली -चोबारो तक हिलोरे मारने लगा .
दिल्ली के तख्त पर विराजमान आप पार्टी को स्वयं की चमत्कारी जीत पर भरोसा नही हो रहा था ओर सामने लोकसभा चुनाव देखकर उसकी आँखों मे केन्द्र की सत्ता का सिंघासन चमकने लगा ….फिर पुरानी कहावत चरितार्थ हुई “आधी छोड़ पूरी को धावे ,आधी मिले ना पूरी पावे ” आनन-फानन मे मुख्यमंत्री पद से स्तीफा देकर त्याग की मूर्ति बनने का स्वांग कर अरविन्द सरकार ने दिल्ली वासियो को छलने का कार्य किया
लोकसभा चुनाव मे आप पार्टी का सामना पुरानी धुरंदर दलो से था ओर अपनी अलग पहचान निर्मित करने वाली पार्टी विरोधियो से लड़ने मे उनके पारंपरिक साम -दंड- भेद वाले हथियारो से लड़ने को विवश हो गयी ..बस यही भारी चूक हुई . आप पार्टी ओर अन्य राज दलो मे कोई भेद नही रहा, यही सब पार्टिया चाहती थी .आप पार्टी मे भले ही बड़े- बड़े ख्यातिनामा योगेन्द्र यादव ,आशुतोष सरीखे लोग रहे, किन्तु आपसी अहम,विवाद ,महत्व की लालसा ,परस्पर झगड़े-झंझट के अप्रिय दृश्यो ने निरंतर पार्टी की छवि को आघात पहुँचाया .जुमा- जुमा 4 दिन की पार्टी का यह हश्र चोंकाने वाला है .सॉफ है पार्टी के मेधावी प्रबुद्ध जनो मे परस्पर कोई मजबूत जोड़ नही था .,जो सबको एकसूत्र मे बांधे रखता .अरविन्द केजरीवाल का जादुई व्यक्तित्व भी कारगर सिद्ध नही हुआ ..उनके बचकाने व्यवहार ओर आचरण मे धीर गंभीर नेत्रत्व का कोई गुण नही है,लगभग हर रोज पार्टी की कलह जगहंसाई का कारण बन रही है …
अन्ना और अरविन्द केजरीवाल द्वारा किये गए आन्दोलन से भरपूर आवेशित कांग्रेस से बुरी तरह खफा और आप पार्टी से निराश देशवासियो ने आंख मूंद कर भा0ज0पा0 को चुन लिया ..यदि कहा जाये कि भा0ज0पा0 को मिली अप्रत्याशित विजय का कारण आप पार्टी की अलोकप्रियता है तो अतिशयोक्ति नही होगी …आखिरकार देशवासियो की आंखो मे जाग्रत सुन्दर सपना टूट ही गया ..
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