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उत्तर प्रदेश का विभाजन ही विकल्प !

aaina
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उत्तर प्रदेश मे बीते 7 दिन मे 7-8 युवतिया बलात्कार का शिकार हुई है ..बदायूँ मे 2 बहनो का बलात्कार कर हत्या की गयी ओर उनकी लाशे पेड़ पर टांग दी गयी .उनके पिता का बयान “प्रदेश की पुलिस पर भरोसा नही है सीबी आई की जांच कराई जाये ” से पता चलता है की देश के सबसे बड़े प्रदेश की कानून व्यवस्था सम्हालने मे प्रदेश सरकार पूरी तरह फेल है ,हर दिन के अखबार हत्या-अपहरण -बलात्कार की खबरो से भरे रहते है .उत्तर प्रदेश अपराधियों का स्वर्ग बना हुआ है ..जिस प्रदेश में माफिआ के दबाव में दुर्गा नागपाल जैसे जुझारू प्रशासनिक अधिकारिओ को प्रताड़ित किया जाता हो ,उनका उत्पीड़न हो तो इन अधिकारिओं का कुंठित होना स्वावाभिक ही है ..इसीलिए अपराधियो के खिलाफ कोई अधिकारी कठोर कार्यवाही नहीं कर पा रहे है ,क्योंकि उनके सामने दुर्गा नागपाल का उदाहरण है ,और अधिकारी छुटभैय्ये नेताओ और प्रभावशाली माफिआ के आगे घुटनो के बल झुके झुके से रहते है . फिर प्रदेश में क़ानून व्यवस्था और सुशासन कैसे कायम रह सकता है .
इस प्रदेश मे 80 लोकसभा सीट है ..अब वक़्त आ गया है की सुशासन ओर कानून व्यवस्था के लिये इस प्रदेश का विभाजन होना ही चाहिये ताकि छोटे प्रदेश की सरकार को शासन-प्रशासन चलाने मे असुविधा न हो .जिस प्रदेश मे कानून व्यवस्था जर्जर हो , वहा सुशासन ओर विकास की बात करना बेमानी है .फिलहाल उत्तर प्रदेश वासी भय ओर आतंक के साये मे जी रहे है ..फिर पानी-बिजली,सड़क ,शिच्छा-चिकित्सा ,भ्रस्टाचार के प्रश्नो से प्रदेश्वासियो का जीना मुहाल है .इसलिये प्रदेश के राज दल ओर देश की नई सरकार को इस प्रदेश को कम से कम दो हिस्सो मे बांटने के सम्बंध मे विचार करना ही चाहिये ,ताकि उत्तर प्रदेश के नागरिक खुशहाल ज़िंदगी बसर कर सकें . जिस प्रदेश मे नागरिको का पुलिस ओर सरकार से भरोसा उठ गया हो तो समस्या की गंभीरता को सहज ही समझा जा सकता है .उत्तर प्रदेश के विभाजन की मांग समय समय पर उठती रही है .प्रदेश सरकार को स्वयं ही विधान सभा मे यह प्रस्ताव पारित करना चाहिये .

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