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राजतन्त्र का पतन !

aaina
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लोकसभा चुनाव मे भा0ज0पा0को चुनाव मे मिली महाजीत मे यू0पी0 ओर बिहार जैसे सामाजिक सरंचना वाले राज्यो की अहम भूमिका रही है जहा जाति-पांत के अंगद की तरह पांव जमाये समीकरण अकल्पनीय तोर पर ध्‍वस्त हुये .इमरान मसूद ,अबू आज़मी और आज़म खान सरीखे नेताओ ने पूरी तरह साम्प्र दायिक ध्रवीकरण कर दिया और मतदाताओ ने जाति-पांत से ऊपर उठकर देश का फैसला लिख दिया .यद्यपि यू0पी0ए0 के 2 सरे कार्यकाल मे कुशासन,भ्रस्टाचार ओर महा घोटालो की शृंखला ने कांग्रेस ने भारी अपयश अर्जित कर लिया था ,फिर इन सवालो पर प्रधानमंत्री ” 100 सवालो पर भारी है चुप्पी हमारी “कहते नजर आये .उनकी संवादहीनता ने जन जन मे असंतोष भर दिया .इस असंतोष को अन्ना-रामदेव ओर अरविन्द केजरीवाल के आन्दोलन को मिले विराट समर्थन ने ओर गर्म कर दिया .जो व्यापक जन आक्रोश मे बदल गया .ओर कांग्रेस की राजशाही के ऐतिहासिक पतन का कारण बन गया .चुनाव मे भा0ज0पा0 की महाजीत की गौरव गाथा लिखने वाले श्री नरेन्द्र मोदी महानायक बन कर उभरे है ,जिन्होने देश की भोली भाली जनता को सुनहरे सब्जबाग दिखाये है ओर इन सपनो ओर उम्मीदो का बोझ अब श्री मोदी जी के कंधो पर है .उनके ओजस्वी भाषन ओर विरोधियो पर तीखे प्रहार की कला ने देश के जनमानस को बेतरह प्रभावित किया है .साथ ही युवाओ मे विश्वास जगाया है . देश की दशा ओर दिशा निर्धारित करने का महती दायित्व नये प्रधान मंत्री कैसे निभाते है ,उनकी प्रतिभा कसोटी पर है ..मात्र 6 करोड़ गुजरातियो के लिये काम करना अलग बात है ,प्रश्न 125 करोड़ भारतीयो के समावेशी विकास का है .सुरसा की तरह मुंह फैलाती महनगाई ,बेरोजगारी ,हर जगह भ्रस्टाचार ,असुरच्छा ,महंगी शिच्छा -चिकित्सा जैसे यछ प्रश्नो से जूझना निश्चित ही बड़ी चुनोती है . कवियो के लिये नये गीत लिखने का समय है ,नयी कहानिया ,नई कोपले देश के नागरिको की आंखो मे फुट आई है …नवसत्ता सम्राट के स्वागत मे पलके बिछी जा रही है …..”सजाने को अब मेरे ख्वाबो की बस्ती यह फूलो के गजरे तमाम आ रहे है “

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