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हुई सांझ और घर को आये !

aaina
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श्रिद्धेय संपादक गण,प्यारे ब्लोगर्स और पाठको
नमन ,

आज में ६० वर्ष का हो गया -रिटायर . वैसे तो घर परिवार और दोस्तों में मुझे कोई सीनिअर नहीं मानता था , आज सीनिअर सिटिजन घोषित हु और अब तक नोकरी -चाकरी में सेवक की भूमिका में रहा अब स्वामित्व को उपलब्ध हो गया हूँ .आप मुझे स्वयंभू कह सकते है . इतने दिन तक आप सब के संपर्क में रहा , आपका स्नेह मिला और पाठकों की प्रतिक्रिया-आशीर्वाद भी सतत मिलता रहा .
अभी तक इंटरनेट की बेहतर सुविधा के कारण खाली समय में अपनी भावनाओं , सम-सामयिक परिस्थितिओं पर आलेख,कहानी-कविता,नाटक के माध्यम से आपके समछ टूटे-फूटे शब्दों का ताना-बाना बुनता रहा. अब इसकी निरंतरता में संभवत बाधा पहुंचे,फिर भी यथा=संभव प्रयास करूँगा की आप सुधिजनो से सदेव नाता बना रहे .
आपके स्नेह के लिए सदेव ऋणी रहूँगा .
हुई सांझ और घर को आये
अपनी यादों के गम-साए
माय्फिल और मयखाने भटके
अपना कोई नज़र न आये
गाते गाते गीत वफ़ा के
बार बार क्यों दिल भर आये

-बृजमोहन श्रीवास्तव , सेक्टर १२ सी/५०५ आवास विकास ,सिकंदरा ,आगरा ..२८२ ००७
/८८६५००९३०५/

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