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मातृत्व का सम्मान !

aaina
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कहावत है – तोल मोल के बोल . किन्तु भारतीय नारियो के प्रति की गई कई टिप्पड़ियां अशोभनीय है , मीडिया को चाहिए ऐसे पागलो को इतना भी सम्मान नहीं मिलना चाहिए की उनके वाहियात विचारों का प्रसार भी किया जाए . कई कई टीवी चेनलों पर बहस , मतभेद के कारण -झगडे झंझट के दृश्य प्रतिबिंबित हो रहे है . देश में नारियों पर बड़ते दुराचार की घटनाओं की बाड़ सी आ गयी है .अपनी माँ की कोख कलंकित करने वाले दुराचारिओं की भीड़ देश में बढती जा रही है . हो सकता है पहले ऐसी अप्राकृतिक , गंभीर योनाचार की घटनाएं होती रही है पर मीडिया का विषय ना होने के कारण अब तक ये घटनाएं अप्रगट रही . दिल्ली में दुर्दांत गेंग रेप की घटना के बाद मीडिया कलम और केमरा लिए बलात्कार की घटनाओं का धडाधड पर्दाफाश करने में लगे है .
आर्थिक उदारीकरण का देश पर सर्वांगीड प्रभाव पड़ा है , इससे इनकार नहीं किया जा सकता . सामजिक ,आर्थिक ,राजनेतिक दशा -दिशा और दर्शन सब कुछ बदला है . भारतीय पुरातन संस्कार , परम्पराएं भी इस उदारीकरण की आँधियों में ” नया ” होने की प्रक्रिया से गुजर रही है . आज से २ दशक पूर्व ” लिव इन रिलेशनशिप ” दर्शन की कल्पना भी करना दुष्कर था …अब भी देश के अधिकाँश परिवार इस विषय पर नाक भों सिकोड़ते है . वर्तमान दृश्य माध्यमो में भी हद दर्जे की नग्नता ,हिंसा पहले की समाज में हेय दृष्टी लिए हुए थी . भारत और इंडिया से अभिप्राय यही है की उदारीकरण पूर्व और पश्चात की सामजिक सोच का अंतर्द्वंद .
नारी की स्थिति देश में कभी अति सम्मान जनक नहीं रही है . भले ही देवी के रूपों में पत्थर की मूर्तियों में सदा से पूज्य है किन्तु हाडमांस की नारिया घर परिवार में उपेछित ही रही है . समाज में लिंग भेदभाव एक कडवी सच्चाई है . परिवार बच्चों की प्राथमिक पाठशाला है ,,यही से शुरुआत करनी होगी , करनी चाहिए. नारी सर्वदा सम्मान योग्य है, ये शिछा घुटी की तरह बच्चों को पिलानी होगी मातृत्व ऋण तभी चुकाया जा सकता है . कभी स्कूलों में नेतिक शिछा पढाई में शामिल थी …उसे पुन अनिवार्यत शिछा में शामिल किया जाना चाहिए .
अब रही बात राजनेतिक उत्तरदायित्व की _ समाज में नेतिकता , मर्यादा और महान भारत की गरिमा की पुनर स्थापना के लिए संसद को युद्ध स्तर पर पहल करनी होगी . यदि संसदीय आदर्श-आचरण में परिलछित होंगे तो सड़क -गाँव तक इसकी सुगंध पहुंचेगी , जो सामजिक नियंत्रण में प्रेरक का काम करेगी ,
जिस देश और समाज में नारी उपेछित -तिरस्कृत होगी ,उसका देर सबेर पतन निश्चित है ..जो देश में दिखाई दे रहा है .

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