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कामनवेल्थ ,२जी स्पेक्ट्रम , कोयला घोटाला के भारी भरकम घोटालो के बाद देश के क़ानून मंत्री रहे श्री सलमान खुर्शीद पर विकलांगो की मदद हेतु केन्द्रीय मदद के ७१ लाख की रकम अपने एनजीओ द्वारा फर्जी -जाली दस्तखत से हड़पने का आरोप , राबर्ट वाड्रा को डी एल ऍफ़ द्वारा बेजा फाइदा मिलने का आरोप , बीजेपी के अद्यछ श्री गडकरी पर फर्जी नाम पते की कम्पनियों द्वारा करोडो की धनराशी के फर्जीवाड़े का आरोपों और अब मुकेश अम्बानी और सरकार की मिलीभगत से रिलाइंस को फाइदा मिलने के आरोप , स्वामी द्वारा कांग्रेस अध्यछ और राहुल गांधी पर वित्तीय अनियमितता के आरोप सुन- देखकर देशवासी अपना सर धुन रहे है , हताश है , निराश है . देश के खेवनहार देश के खजाने की खुलेआम लूटमलाट कर रहे है और नागरिक सुरसा जैसी महंगाई की चपेट में कराह रहे है .
उधर प्रधानमंत्रीजी अपने मंत्रियो को साहस दे रहे है की आरोपों से डरो मत ,अपना काम करो २०१४ के चुनाव सर पर है . ताज्जुब है सरकार इन आरोपों पर कतई गंभीर नहीं है और नाही आरोप लगाने वालो के विरुद्ध कानूनी कार्यवाही कर रही है ,जिससे इस तथ्य को बल मिलता है की आरोप मिथ्या नहीं है .
भले ही प्रधानमन्त्री जी ने कहा है की आरोपों से डरो मत , लेकिन आरोपी नेता और मंत्रिओं में बेचैनी है , झुन्ज्लाहट है , माथे पर पसीना है और अरविन्द केजरीवाल को चित्त करने की नित नई तरकीबे टटोली जा रही है . कांग्रेस और भा ज पा सब भ्रस्ताचार के हमाम में बेशर्मी से नंगे खड़े है और आरोपों से इनकार कर रहे है , अरविन्द को गाली दे रहे है , अपशब्दों तक का प्रयोग हो रहा है , धमकिया दी जा रही है .
सरकार के मुखिया अरविन्द के तीखे तथ्य,सबूतों के हमलो से घायल अपने सिपाहसालारो को बेचारगी से देख रहे है . संभवत प्रधानमन्त्री महाभारत के भीष्म पितामह की तरह शाही परिवार के प्रति निष्ठां से बंधे है .
देश में घोटाले और भ्रस्ताचार क्या पहली बार हुए है ? कदाचित नहीं , क्योंकि यह बात बरसो पहले बोफोर्स घोटाले से स्पस्ट हो गयी थी . राजीव गांधी जी ने सत्ता संभालते है देश को दलालों से मुक्त करने की घोषणा की थी , अर्थात देश तब भी दलाल चला रहे थे और आज भी देश पर पूंजीपतियों और सत्ता के दलालों का ही कब्ज़ा है .
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