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आजकल टीवी चेनलो पर जोर शोर से विकसित भारत का सरकारी विज्ञापन आ रहा है .देश में खुशहाली ही खुशहाली –रोटी-रोजी -चिकित्सा,बच्चो-महिलायों हेतु सरकारी कल्याणकारी योजनाये और परस्पर आव्हान करते नागरिक ” आपने अपना हक लिया क्या ” …देखकर एकबारगी लगा की मेरा भारत कितना महान है और मुझे पता ही नहीं ,सरकार बता रही है . नागरिको के टेक्स की करोडो -करोडो की धनराशी खर्च करके सरकार कह रही है क्यों चिंता करते हो ” में हूँ ना ”
एन०दी०ये० शासनकाल में चुनाव पूर्व ” इंडिया शाइनिंग ” के विज्ञापन फिर याद आ रहे है और याद आ रहा है चुनाव उपरान्त एन-दी-ये- का हश्र धडाम ..धडाम धम .
सरकार को जनता की समझ के बारे में एकबार फिर भ्रम हो गया है , या उसकी मति मारी गयी है इस रीडतोड़ मंहगाई में खुशहाल भारत की तस्वीर प्रचारित कर जनता को बरगलाना आसान है ? २०-२५ रूपए किलो आटा , सो -सवा सो रूपए किलो दाल-तेल , ४०-५० रूपए किलो सब्जियों और ७००-८०० का गेस सिलेंडर , डीजल के भाव बड़ने से बस -टेक्सी , टेम्पू के बड़े किराए से जूझती अपने 4000-5000 रुपल्ली तनखा वाले परिवार कैसे अपना और बाल बच्चो का गुजारा कर रहे है , सोचना मुश्किल है . ऊपर से मकान किराया, चिकित्सा और शिछा का खर्च नागरिको को चोरी,डकेती, खून खराबे की और अग्रसर करने को पर्याप्त है . फिर पश्चिमी देशो की तर्ज पर देश में संविदा की नोकरी का चलन ,जहा कोई भविष्य की गारंटी नहीं , बुडापे का कुच्छ सहारा नहीं ..नितांत असुरछित जीवन में समाज में अवसाद ग्रस्त नागरिको की संख्या लगातार बढ रही है . ..और सरकार विज्ञापन कर रही है ..दिखा रही है खुशहाल भारत की तस्वीर ,,धन्य है सरकार की नीतियाँ और हमारी सरकार . .
सरकार को समझना चाहिए की देश का अधिकाँश नागरिक सरकारी कर्मचारी नहीं है जिसका मंहगाई भत्ता बढाकर उसके हाथ में झुन झुना थमाया जा रहा है . फिर निजी दूकान, फेक्त्रिया, कम्पनियां अपने कर्मियों को कोई मंहगाई भत्ता नहीं दे रही है ना ही देने वाली है और इस सम्बन्ध में सरकार द्वारा कोई नियम नहीं बनाए है की सरकारी कर्मियों का मंहगाई भत्ता बड़े तो निजी दूकान, फेक्ट्री और कम्पनियों में काम करने वाले कर्मियों को भी इसका लाभ मिलेगा .
डीजल-गेस पर सब्सिडी ख़त्म होनी चाहिए ,लेकिन घाटे में चल रही कम्पनियों को लगातार हजारो करोड़ की सब्सिडी दिया जाना किसी भी दृष्टी कोण से तर्कसंगत नहीं है . यह निर्मम-क्रूर घोर पूजीवादी व्यवस्था की पोषक सरकार का स्पस्ट एजेंडा है ,जहा सबसे बड़ा रुपय्या है , श्रम को कोई मूल्य नहीं , किसान और किसानी की कोई परवाह नहीं
देश-विदेश की बेंक-तिजोरियो में जमा काले धन पर नागरिको का हक़ है , उसे मिलना चाहिए , कामनवेल्थ , २जी स्पेक्ट्रम और कोयला घोटाले में लगभग ४०० लाख करोड़ की रकम पर नागरिक का हक़ है उसे मिलना चाहिए और देश के नागरिको का निर्णय है -इस पर कोई सब्सिडी नहीं दी जायेगी ….२०१४ के आम चुनावों के मद्दे नजर खादी,पीली ,नीली ,लाल हरी टोपियो वाले भ्रष्ट नेता लपलपाती , लार टपकाती जीभ लिए नुकीले पंजो को छुपाये बढ रहे है .इन महाभ्रस्ट -बुरी नीयत वाले नेताओं की टोलियाँ हमारी बस्तियों-गावों की और बड़ रही है ..
सावधान भाइयो …होशियार ….
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