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कालेधन की वापसी ओर लोकपाल बिल के प्रबल पैरोकार रामदेव ओर अन्ना हज़ारे लगातार कह रहे है की संसद मे चोर ,लुटेरे ओर हत्यारे बैठे है ..यह गालिया उन जनप्रतिनिधियों को दी जा रही है ,जिन्हे हम ओर आप जनता कहे जाने वाले लोगो ने चुना है तो वस्तुत: यह सीधी गालियाँ जनता की ओर उछाली जा रही है ..विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र कहे जाने वाले अपने देश के लिए यह शुभ नही कहा जा सकता .सर्वोच्च संसद की अवमानना हो रही है . धन ओर बाहुबल आधारित वर्तमान चुनाव प्रणाली दोषपूर्ण है ,जिसके कारण भ्रष्टाचारी ,बाहुबली ओर संगीन आरोपों मे नामजद व्यक्ति सहज ही जनप्रतिनिधि बन विधान सभा ओर संसद मे पहुँच जाते है .रामदेव ओर अन्ना हज़ारे को सर्व प्रथम ” चुनाव सुधार बिल ” पर बात करनी चाहिए ,साथ ही आम जन को मताधिकार प्रयोग हेतु सजग करने की आवश्यकता है .
वर्तमान मे चुनाव सुधार बिल की माँग की प्रासिंगिकता अति महत्व पूर्ण है .जिससे स्वच्छ छवि के प्रतिभावान ओर गुणी लोग विधानसभा ओर संसद मे प्रवेश पा सकें ..तभी ” लोकपाल बिल ” भी पारित हो सकेगा. अभी कोई भी राजनैतिक दल लोकपाल बिल हेतु गंभीर नही है ..यह तथ्य है जिसे झुठलाया नही जा सकता . क्योंकि लोकपाल बिल पर संसद मे हुई बहस मे कुछ मा0 सांसदों के कथन ” पुलिस पकड़ लेगी ” ओर ” अपने वारंट पर हम दस्तख़त क्यों करे ” के सन्ग्यान मे सहज ही अंदाज़ा लगाया जा सकता है की इनमे से कौन ओर कितने सांसद लोकपाल बिल के पछ मे है .
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