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विधानसभा मे मा0 विधायक जी को मोबाइल पर नग्न वीडीयो क्लिप देखते हुए मीडिया ने क्या पकड़ लिया कि बस कोहराम मच गया . भला किसी के व्यक्तिगत शोक पर भी आप पाबंदी लगाना चाहते है , ये तो व्यक्तिगत स्वतंत्रता पर कुठाराघात ही कहा जाएगा . क्या विधायक जी का दिल नही है ,जिसे वे बहलाए . अब विधान सभा मे विधायकगण सोते हुए पाए जाए तो भो आपको चैन नही ,अगर जागते हुए किसी चिकनी चमेली का नग्न बदन निहारकर फ्रेश होना चाहे तो भी मीडिया को मिर्च लगती है , फिर टीवी चेनलो पर घिस घिस कर दर्शको को बार बार लगातार फ्रेश कर रहे है …क्यो…वाह भाई वाह .. … विधानसभाओं मे जूतम -पेजार के प्रकरण हो ,इससे तो अच्छा है की मा0 विधायक गण शालीनता से आशालीन मुद्राओं मे नग्न नायक-नायिकाओं के उलट-पुलट करतब देखते हुए अपने-अपने राज्य की समस्याओं पर विस्तार से विचार विमर्श करें ,इसमे मीडिया,हमको ओर आपको क्या व्यक्तिगत परेशानी है ? दरअसल कुछ मध्ययुगीन मानसिकता वाले मीडियाकर्मी देश मे आयातित संमरद्ध कार्पोरेट कल्चर के ज़माने मे चाहते है की हमारे मा0 सांसद -विधायक रामचरित मानस ओर भगवत गीता हाथ मे लिए घूमते रहे ..धत ..ये लोग देश का विकास नही चाहते ..ओर्तो की तरह हर बात मे नुकताचीनी मीडिया को शोभा नही देती . वैसे भी मीडिया के बड़ती दखल अंदाजी से तंग आकर सरकार सोशल साइट्स पर कुछ ना कुछ प्रतिबंध लगाने पर विवश हुई है यही हाल रहा तो आगे प्रिंट ओर दृश्य मीडिया को भो ढंग से देखने की नोबत आ सकती है इसीलिए भैया मेरे भलाई इसी मे है की जो सरकार देखे बस वही दिखाओ ..इसके आगे की सोचो मत
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