- 199 Posts
- 262 Comments
वो आदमी जो गांधीवादी है ,जिसके पास सिर्फ थाली कटोरा है ,जो मंदिर की कोठरी में सोता है ,जो शहीदों के स्वप्न के भारत का निर्माण करना चाहता है ,जो देश में फैले भ्रस्टाचार से पीड़ित दीन दुखियों की मुक्ति के लिए संघर्ष कर रहा है ..वो आदमी हार गया ,तुमने उसे पराजित कर दिया .सच आज तुम बहुत खुश होगे .तुम्हारे लिए जश्न मनाने का समय है तुम जीत गए और एक बार फिर देश हार गया ,जनता हार गयी और पार्टी हाई कमान जीत गया, राजनेतिक दलों के बंधक जनप्रतिनिधि चाहकर भी जनता का हाथ थाम ना सके .
इस देश में अब तक जैसा चलता रहा है ,चलता रहेगा .धन-बाहुबली लोग ही चुनाव लड़कर जीत सकेंगे –फिर लाखों करोडो खर्च किये धन को तीन चार -दस गुना वसूलने की जुगाड़ में लिप्त हो जायेंगे ,सिर्फ अपना एशो आराम ,वैभव और सात पीड़ियों की व्यवस्था ,अलीबाबा और ४० चोरो की कहानी का दुहराव . देश के खजाने की निरंतर लूट कर्म में संलिप्त ….निरीह आम जनता की तकलीफों से बेपरवाह …बस –तुम्हारा कोई कुछ बिगाड़ नहीं सकेगा –कालेधन के विस्तार से गरीब और गरीब और तुम सरीखे लोग समृद्ध और संमृद्ध होते चले जाओगे ..सच में तुम बहुत खुश होगे …
लेकिन नहीं जब आंधियां उठती है तो सड़क की धूल भी आसमान चूम लेती है इतना ख़याल रखना ..
गुरुवर रविन्द्र का गीत याद है ना…
होगी जय निश्चय ..होगी जय निश्चय …
फटा जा रहा सघन अँधेरा , अरे ना अब कुछ भय
देख उधर पूरब सुभाल में ,गहन विपिन के अन्धकार में
होता शुक्र उदय …होगी जय निश्चय …
दोड़ निकल आ घर के बाहर , देख हो रहा सर के ऊपर
अम्बर ज्योतिर्मय …होगी जय निश्चय ….
Read Comments