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रावण हंस रहा है ….

aaina
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रावण हंस रहा है ..ठहाके लगा रहा है ..दशहरा पर्व पर हर आदमी ने अपने गली मोहल्ले में रावण के पुतले जलाए है ..और स्वयं को राम स्थापित किया है …अधर्म पर सत्य की विजय के रूप में प्रति वर्ष दशहरा जोर शोर से मनाया जाता है ..रावण इसलिए हंस रहा है की वो अजर अमर है ..उसे कोई नहीं मार सकता क्योंकि उसने हमारे मन की गुफा में अपने छिपने का ठिकाना बनाया है ..और हम बाहर- बाहर रावण के पुतले जलाकर रावण को मारने का उपक्रम भर कर रहे है ..अपने धर्म शास्त्रों ,पैगम्बरों ..राम रहीम को भी इसी तरह महिमा मंडित किया है मात्र अगरबत्ती जलाई फूल मिठाई अर्पित किया और हो गयी छुट्टी ..धर्म का पाखण्ड हो गया ..उनके दिखाए मार्ग का अनुसरण तो बिरले लोग ही कर पाते है ..और वे धन्य है …क्योंकि वे ही सही मायने में धार्मिक है .
वर्तमान में देश में अधर्म ही अधर्म है ..नित्य हत्याएं ,लूट ,बलात्कार ,बम विस्फोट में निरीह नागरिको के शव रुदन- चीत्कार के समाचार विचलित करने वाले है तो राजनेताओं के काले कारनामे , विदेशी बेंको में जमा अरबो अरबो का काला धन , घोटाले ही घोटाले और तिहाड़ में दबंग नेताओं की बदती संख्या से सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है की अब रावण के दस सर नहीं हजारो- हजारो सर है और क्रमश वो और शक्तिशाली होता जा रहा है …..
पहिले प्रत्येक नागरिक को अपने मन के भीतर छिपे रावण की पहिचान करनी होगी ..अपनी बुराइयों से लड़ना है और विजय पानी है …विभीषण अर्थात अपना विवेक इसमें हमारा मार्ग प्रशस्त करता है .
भ्रस्टाचार,महंगाई ,अन्याय रुपी मकड़ी के जाल में देश का नागरिक उलझ कर रह गया है उसे मुक्ति का कोई रास्ता नहीं सूझ रहा है ..भेड़ की खाल में छिपे भेडिये मूलभूत अधिकारों का हनन कर रहे है किसान और गरीब परिवार के परिवार सामूहिक आत्मघात करने को विवश है ..अब मात्र रावन के पुतले जलाने से काम नहीं चलेगा …वास्तविक रावन को मारने के लिए तत्पर होना होगा …इस लोकतंत्र में नागरिकों के हाथ में रामबाण है वोट ….इसका सही प्रयोग करना है अन्यथा रावन युही ठहाके लगाता रहेगा

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