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धर्म और राजनीति का गोरख”धंधा”

aaina
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स्विस बेंक में जमा कालेधन को देश में वापिस लाये जाने की मांग कानूनी अडचनों के कारण अभी दूर की कोडी लगती है ,जिसके लिएप्रभावी जन अभियान चलाये जाने की ज़रूरत है ,किन्तु हाल में सत्य साईं के खजाने के ४० हजार करोड़ की सम्पदा के खुलासे ने देशवासियों की आँखे चकाचोंध कर दी है . सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है की माँ वेश्नो ,बाबा तिरुपति,शिर्डी मंदिर जैसे अनेको मंदिर-मस्जिदों के ट्रस्टो के खजाने में कितनी सम्पदा हो सकती है .यदि इसे रास्ट्रीय संपत्ति घोषित कर दिया जाए तो अरबो-खरबों की धनराशी से देश के करोणों निर्धन नागरिको के होंठो पे मुस्कराहट आ सकती है .जबकि अभी इस विशाल खजाने पर मुट्ठी भर
पण्डे-मोलवी अथवा प्रभावशाली लोग मौज कर रहे है .
देश की जनता श्रृद्धा-भक्ति भाव से मंदिर-मस्जिदों में अपने खून-पसीने की कमाई अर्पित करती है . भगवान् भक्तो के लिए है ,फिर इन पर चडाई गयी सम्पदा भी भक्तो के कल्याण में लगनी चाहिए . अत क़ानून बनाकर विभिन्न धर्मो के ट्रस्टो की संपत्ति को रास्ट्रीय संपत्ति घोषित किया जाना सर्वथा उचित ही है .
यह तथ्य भी सर्व विदित है की देश के राजनैतिक दलों के पार्टी कोष की संपत्ति को कभी सार्वजनिक नहीं किया गया . अनुमान लगाना सहज ही है की कालेधन का अथाह सागर राजनैतिक गलियारों में हिलोरे ले रहा है निश्चित ही इस अकूत सम्पदा से देश का कायाकल्प हो सकता है .
इसीलिए स्विस बेंक में जमा कालेधन की वापिसी की मांग दूर दृष्टी का परिचायक है तो निकट दृष्टी भी सजग रखने की परम आवश्यकता है . जिस देश की आधी आबादी से अधिक नागरिक तंगहाल है ,रोटी-रोजी-स्वास्थ्य जैसी मूलभूत सुविधाओं से वंचित है उस देश में भगवानो के मंदिर में अथाह धन-संपत्ति जमा रहे ,ये कैसी विडंबना है ,क्या भक्तो के भगवान् इस स्थिति से प्रसन्न होंगे ?
अब देश के दरिद्र नारायण की उपासना की शुभ मुहूर्त की बेला है .विभिन्न राजनैतिक दल अपने कोष को सार्वजनिक करे और धर्म और सामजिक ट्रस्टो में जमा छिपी संपत्ति रास्टीय संपत्ति घोषित किये जाने के लिए क़ानून बनाये जाने पर विचार करे .धर्म और राजनीति के नाम पर जनता की कमाई की अंधाधुंध लूट बंद होनी ही चाहिए

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