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बाबा का बवंडर /जागरण जंक्शन फोरम /

aaina
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४ जून से रामलीला मैदान पर बाबा रामदेव कालेधन के दैत्य के विरुद्ध शंखनाद कर रहे है तो उच्च शिछा में हिंदी माध्यम ,किसानो के अनाज का समर्थन मूल्य बढाने ,लोकपाल बिल, भ्रस्ताचारियो की संपत्ति जप्त कर कठोर सजा के प्राविधान वाले एजेंडे को सरकार के समछ प्रस्तुत किया है . उनके समर्थन में देशभर से जुटे लाखो लोगो के जमघट को देखकर सरकार की जान सांसत में आ गयी है .
देश की दुर्दशा ,सड गल चुकी भ्रष्ट वितरण व्यवस्था ,दिन दुनी रात चगुनी दर से बदती महंगाई से आजिज आ चुकी देश के नागरिको के मन में भारी गुस्सा है ,खीज है . अन्ना हजारे द्वारा लोकपाल बिल के लिए किये गए अनशन के समय भी इस नाराजगी के इज़हार के लिए भारी भीड़ जंतर मंतर पर जमा हुई थी . अन्ना के अनशन के उद्देश्य को छल से हाशिये पर डालने वाली वर्तमान सरकार बाबा के देश हित से जुड़े ज्वलंत प्रश्नों पर किन्कर्तब्य विमूड हो गयी है ,लाखो नागरिको के समर्थन से उसके हाथ पाँव फूल गए है .
यही कारण है की रात्री १ बजे से रामलीलामैदान में सरकार के आदेश पर रामदेव और उनके लाखो समर्थको पर पुलिस ने लाठी चार्जे ,आन्सुगेस और बर्बरतापूर्वक कार्यवाही कर आखिरकार बाबा के सत्याग्रह को कुचल डाला ..और इतिहास में सरकार की यह अमानुष ,बर्बर कार्यवाही दर्ज हो गयी …छोटे छोटे बच्चे ,युवतिय बूड़े अनशनकारियो की चीखे -चिल्लाहट और रुदन ने संभवत वर्तमान हिटलर सरकार की ताबूत में आखिरी कील ठोकने का ही कार्य किया है ….और बाबा पर भी जानलेवा हमला किया गया ..किन्तु बाबा के तेवर देखकर यही कहा जा सकता है …* वे मुतमईन है की पत्थर पिघल नहीं सकता ,में बेकरार हु आवाज में असर के लिए .** ४ जून काले दिवस के रूप में याद किया जाएगा ..आज समूचा देश बाबा के आन्दोलन के साथ उठ खड़ा हुआ है .
जिस सरकार के कार्यकाल में दर्जन भर मंत्री ,नेता और अफसर तिहाड़ की जेल में बंद है कई अपनी बारी का इंतज़ार कर रहे है तो मान लेना चाहिए की सरकार अपनी विश्वसनीयता खो चुकी है और उसे स्वयं गद्दी छोड़ देनी चाहिए . उनके सहयोगी दलों को भी शर्म आनी चाहिए और जहा तक विपछ का सवाल है वह भी अपने भ्रष्ट नेताओ के कारण चुप्पी साधे बैठे है . क्योंकि काजल की कोठरे में कोई बिरला ही बेदाग़ रह सकता है . ज्ञात ही है की बाबा रामदेव ने २-३ माह पहले ही सरकार के सामने अपना एजेंडा प्रस्तुत कर दिया था और विचार करने का बार बार अनुरोध भी करते रहे लेकिन पीठ पीछे अपने सलाहकारों के माध्यम से बाबा के चरित्र हनन ,अंट-शत आरोपबाजी करके ,लांछन लगाकर सरकार उनकी छवि धूमिल करने के षड़यंत्र में लगी रही ,सरकार की बदनीयती जनता से छिपी नहीं रही और सरकार के प्रति उसका विद्रोह बढता ही गया . इसीलिए आज देश के जन जन में * तख़्त बदल दो ताज बदल दो ,बेईमानो का राज बदल दो * जैसे नारे उबाल ले रहे है . बाबा ने देश में व्यवस्था परिवर्तन का जो स्वप्न देशवासियों को दिखाया है वह साकार होकर रहेगा .. बाबा बार बार ये कह भी रहे है उनकी लड़ाई राजनेतिक दलों से नहीं …नेताओं से नहीं बल्कि दीमक लगी व्यवस्था से है ,जो नागरिको के अधिकार चाट रही है .
अंतत दुष्यंत का शेर …* कोई हंगामा खड़ा करना मेरा मकसद नहीं ,मेरी कोशिश है की ये सूरत बदलनी चाहिए ”

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