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रौशनी का ख्वाब !

aaina
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में अंधेरों के सफ़र पर निकला

आँख में रौशनी का ख्वाब लिए


न कोई दोस्त न हमदम न हमसफ़र है कोई

हम इस ज़हान में अकेले ही जिए

आँख में रौशनी का ख्वाब लिए

में अंधेरों के सफ़र पर निकला


तुझसे मिलने की हसरतें बाक़ी

युगों युगों हम इंतज़ार किये

आँख में रौशनी का ख्वाब लिए
में अंधेरों के सफ़र पर निकला

चार पल जिंदगी उधार मिली

हम तो बरसों तलक हिसाब किये

आँख में रौशनी का ख्वाब लिए
में अंधेरों के सफ़र पर निकला

कौन साकी का इंतज़ार करे

हम जो बैठे तो बेहिसाब पिए

आँख में रौशनी का ख्वाब लिए
में अंधेरों के सफ़र पर निकला

इस ज़माने को शुक्रिया कह दूँ

हर कदम जिंदगी सवाल दिए

आँख में रौशनी का ख्वाब लिए
में अंधेरों के सफ़र पर निकला


..में अंधेरो के सफ़र पर निकला

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