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चले हें ,चले हें ससुराल !

aaina
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अजीब आलम है जिसे देखो सीना तानकर .. केमरो की फ्लेश की झपक झपक का

सामना करते हुए सीधे जेल का रुख कर रहा है . बड़े बड़े राजा ,मंत्री,तीसमारखां व्यवसायी और

नोकर्शाहो की आरामगाह बनती जा रही है जेल . कितने अन्दर चले गए कुछ जाने को तैयार . मेरे

साले पप्पूजी कह रहे है की जीजा अब स्वनामधन्य राजनेता क्या जेलों से सरकार चलाएंगे

. हो सकता है आगे चलकर इन भ्रस्ट सेनानियों की पेंशन की व्यवस्था भी हो जाए . हमारे देश में

कुछ भी हो सकता है . कभी सुना-पड़ा था की एक विदेशी ने कहा की जिन लोगो को भगवान् पर भरोसा

नहीं उनको इंडिया जाना चाहिए क्योंकि इतनी अराजकता के बीच भी वहा सब ठीक ठाक चल रहा है .

विश्व में भ्रस्टाचारी देशो की सूची में चोथे पायदान पर होने के बावजूद यहाँ के लोग आज भी सगर्व गाते

है सारे जहा से अच्छा हिन्दोस्तान हमारा .


मजे की बात है की स्व० राजीव गांधीजी ,पूर्व प्रधानमंत्री के जमाने से भ्रष्टाचार मिटाने और

दलालों से देश को मुक्त कराने की उदघोश्नाये लाल किले से की जाती रही है ,किन्तु दलालों की बेशुमार

औलादें रोते- बिलखते-अभावो से जूझते नागरिको को दलाली का गुलाल लगाकर नित होली खेलते

रहे है . उन ८० प्रतिशत दलित-शोषित-पीड़ित नागरिको के प्रति इससे घृणित अपराध और क्या हो

सकता है जो उपलब्ध आंकनो के मुताबिक २० रुपया प्रतिदिन आय पर गुजारा करने को अभिशप्त है .

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