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कुछ लोग अक्ल से पैदल होते है ,उनमे से एक है हमारे साले पप्पूजी . अन्ना जी की जीत क्या
हुई अपने कालर खड़े किये दनदनाते हुए घर में घुसे और बोले जीजा अब देश से भ्रष्टाचार मिट
कर रहेगा .आज सिनेमाहाल में टिकट ब्लेक कर रहे कालिए का मानमर्दन करके आ रहा हु .
साला बीस की टिकट १०० में बेच रहा था .
मेरे खोपड़ी घूम गयी . अब ऐसे लोगो का क्या किया जाए ..भाई जरूरी है फिल्म का पहला शो
ही देखना ..जब भीड़ कम हो जाए तब नहीं देख सकते . दरअसल जो लोग लाइन में लगे रहने
में अपनी हेटी समझते है वही लोग सिनेमा,रेल टिकट, राशनकार्ड दफ्तर,बिजली बिल जमा
करने जैसी जगहों पर रिश्वत का खेल शुरू करते है . अन्ना जी के आन्दोलन में जोर शोर से नारे
लगाने वाले मोहल्ले के कई महानुभावो को जानता हु ..जो कभी लाइन में नहीं देखे गए .
उनका मानना है की दस-बीस पचास देकर अगर सुविधा मिल रही है तो कौन बेवकूफ लाइन में
लगकर वक़्त बर्बाद करे . इसी सुविधा के नाम पर दस बीस पचास लेने वाले बाबुओ के मुह
खून लग जाता है और सुविधा शुल्क अपना हक़ मान लेते है …फिर खेल शुरू हो जाता है
..अनवरत ..नीचे से ऊपर तक ,ऊपर से नीचे तक . और सड़क से संसद तक .
अभी में सोच ही रहा था की तभी टिकट ब्लेकर कालिए के साथ तीन चार मुस्टंडे आये और मेरे
साले पप्पूजी की एक टांग ,दो दांत और तीन पसलिया तोड़कर चले गए …अब साले साहब
बन्दर-कुत्तो के आश्रय बने सरकारी अस्पताल में टांग उठाये पड़े है .
…ब्रजमोहन श्रीवास्तव ,आगरा- 9410203171
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