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सुप्रीम कोर्ट की डपट के बाद आखिरकार डाक्टर साहब ने मान लिया
की देश के अत्यंत संवेदनशील पद पर थोमस की नियुक्ति में गलती हो गयी ..यह कुछ अधूरा बयान
है जिसे यु पूरा किया जा सकता है की ” माफ़ करो भाई ” यह बयान मासूमियत से भरा है .किसी
दार्शनिक ने कहा भी है ” जो गलती के लिए प्रायश्चित करते है वे धन्य है ..इससे स्वीकारोक्ति से
डाक्टर साहब का बड़प्पन जाहिर होता है . किन्तु जब नेता प्रतिपछ थोमस की नियुक्ति का घोर
विरोध कर रहा था फिर भी जानबूझकर इस नियुक्ति को हरी झंडी क्यों दे दी गयी ? इससे एक तथ्य
परिलछित होता है की आप हिटलर की तरह काम करना चाहते हे ,जहा किसी भी असहमति का कोई
मूल्य नहीं है .यह प्रवृत्ति लोकतंत्र के लिए कदापि शुभ नहीं है .
समूचे देश में आज कांग्रेस विरोधी लहर है और अगले माह होने
वाले कुछ प्रदेशो में संपन्न होने वाले चुनावों में कोंग्रेस को इसका खामियाजा उठाना ही होगा . अत
यह सर्वथा उचित समय है की डॉक्टर साहब राजी राजी विदा हो जाय ..उनकी साख पर भारी बट्टा
लग चूका है …पहले देश के सामने बयान की ” में मजबूर हु ” ..और अब सतर्कता आयुक्त की
नियुक्ति पर कथन “गल्लती हो गयी ” जैसे संवादों से जनता में यही सन्देश जा रहा है की डॉक्टर
मनमोहन सिंह बूड़े और कमजोर हो गए है . यही उचित होगा की देश की कमान युवाओ के हवाले कर
संन्यास की राह चुने ताकि देश को ताज़ा स्फूर्तिवान मजबूत नेतृत्व मिल सके ,जो युवाओं को प्रेरित
कर देश का कायाकल्प कर सके .
२०१० का पूरा वर्ष घोटाले-घोटालो के नाम रहा जो इस वर्ष भी खिंच रहा है प्रतिदिन
टीवी चेंनेल और समाचार पत्रों में सुनते-देखते जनता ऊब चुकी है
यद्यपि कोंग्रेस की सरकार में नित नए घोटालो के उजागर होने से ये आरोप मिथ्या
सिद्ध होते है की जांच एजेंसिया ,न्यायालय सत्ता की कठपुतलिया है .यदि ऐसा होता तो भ्रष्ट नेताओं
-अफसरों के चेहरे से नकाब उतरना दुष्कर था .इसके लिए कोंग्रेस को धन्यवाद देना ही चाहिए .
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