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है कोई चन्द्रगुप्त ?

aaina
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देर आयद दुरुस्त आयद की तर्ज़ पर सरकार ने भ्रष्टाचार पर विपछ की जेपीसी की

मांग स्वीकार कर ली है ..ये अलग बात है कि सरकार के त्रिया हठ के कारण संसद का

शीतकालीन सत्र शून्य हो गया था . प्रश्न है कि यदि पहले जो मांग व्यर्थ लग रही थी अब

रातोरात क्या हो गया ? जेपीसी के गठन पर राजी क्यों हो गई सरकार ? ..वो कहेंगे हम

सरकार है ..हमारी मर्ज़ी ..तुम कौन ?राजनीति में कौन सा दांव कब चलना है तुम जैसे

टटपुन्जिये क्या जाने ?

अब बाबा राम योग जी को ही देखिये .. बाबाजी योग सिखाते -सिखाते दवा

व्योपारी हो गए ,फिर राजनीति का रोग लगा और काले धन के नाम पर भाषण शुरू

…यहाँ तक तो ठीक था चुनावी खेल में भी उतरने का एलान भी कर बेठे ..बाबाजी

अनुलोम-विलोम एक अलग बात है,राजनीति के दांव-पेच -पेंतरे बाजी बिलकुल अलग

है..और फिर हमाम में तो नंगा होना ही पड़ेगा ,सरकारी सांसद जी ने आखिर लंगोट खींच

ही लिया ना ..अब छुपाते फिरो . ..बताओ ११०० करोड़ कि संपत्ति कहाँ से लाये ? भाई

सन्यासी को सीकरी सो क्या काम ?

..अ-राजनीति के इस दुर्गन्धयुक्त नाले कि सफाई बरसों से नहीं हुई

.भ्रष्ट,अराजक व्यवस्था को बदलने का ठेका आप क्यों ले रहे हो बाबाजी ? ..और अगर

ठेका लिया ही है तो आप को देश कालीन यछ प्रश्नों के उत्तर देने ही होंगे ..” जल से प्रश्न बड़ा

है लेकिन उत्तर देना होगा ” बिना उत्तर दिए आप इस राजनीति के सरोवर से अपनी प्यास

नहीं बुझा सकते …आपको तो स्मरण ही होगा की बरसों से कई नेता ऐसे ही युवातुर्कीय

भाषण -नारेबाजी करते हुए ही करोणों-करोणों कमा गए है . कमा रहे है ..अब देश सेवा

कोई फ्री फंड में तो कोई करता नहीं ..कहावत भी है पहले अपना फिर साले-बहनोई-

मामा-भांजा -नाते रिश्तेदारों का कल्याण और उसके बाद आने वाली सात पुश्तो का

इंतजाम ..इसीलिए तो स्विस बेंक की दिन दुनी रात चोगुनी तरक्की हो रही है ..क्या कहा

आपने आम आदमी की चिंता …धत तेरे की . अरे देश का दलित,निर्धन नागरिक तो

अपने पूर्व जन्मो के पापों का परिणाम भुगत रहा है .कीड़े-मकोडो की तरह जीना और मर

जाना इनकी तो यही नियति है आप तो देश को सिर्फ अनुलोम-विलोम कराते रहिये .

दवा क़ी दूकान के साथ ,कोस्मेटिक के आइटमो में तो खासी कमाई हो रही होगी अरे भाई

आप जैसे कई बाबा लोग यही कर रहे है..बड़ी शानदार गाडियों में सफ़र का अपना अलग

ही मजा है ..लूटिये ..देश के नेता -अफसर ,समाजसेवी यही तो कर रहे हे .

देखो बाबाजी आप नेताओ को गांधी बाबा बनाना चाहते है ..तो सत्ता-विपछि

दलों में अधिकतर के पैर घुटनों तक कीचड में सने है ..ठीक है आप चाणक्य बनना चाहते

हें तो किसी चन्द्रगुप्त को तय्यार कीजिये ..आप की निगाह में है कोई चन्द्रगुप्त ..? बिना

चन्द्रगुप्त के देश में व्यवस्था परिवर्तन नामुमकिन है .

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