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तुम मजबूर नहीं हो !

aaina
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“ कुछ तो मजबूरिया रही होंगी ,यु ही कोई बेवफा नहीं होता ” वाला शेर फिर याद आ गया

देश का मुखिया बेबस है फिर हम कौन खेत की मूली है .ये अलग बात है मूली भी २० रुपये

किलो बिक रही है . इस मुहावरे को बदल देना चाहिए ..हम कौन खेत की घास है ..हां ये ठीक

रहेगा . अब घास तो कोई मानुस खायेगा नहीं ..नहीं खायेगा तो भाव भी नहीं बढेंगे ,भाव उसी के

बड़ते है जो उपयोगी है .

है न ताजुब की बात की “मेरे भारत महान “का प्रधानमंत्री मजबूर है ..देख रहा है की नेता-

अफसर ठीक नाक के नीचे घोटाले कर रहे है .नागरिको के खून पसीने की कमाई दोनों हाथो से

लूट रहे है ..बन्दर-बाँट चल रहा है . जमाखोर-सूदखोर की काली करतूतों से मंहगाई का तांडव

नृत्य चल रहा है .जनता चीख रही है और देश का मुखिया मजबूर है . इस बेशर्म बयान पर ताली

बजाये,हँसे की रोये कुछ समझ नहीं आ रहा है .

मीडिया में फिर भी चर्चा है की मूखिया जी इमानदार हैं ..इमानदार है तो बेईमान -बेशर्म ,

लुच्चे भ्रस्ताचारियों के साथ क्यों खड़े हैं ? ..नहीं स्तीफा नहीं देंगे ,इन लोगो के साथ खड़े रहना

भी मजबूरी है .गठबंधन धर्म का निर्वाह जो करना है . धत….

लगता है मुखियाजी मुकेश खन्ना से खासे प्रभावित है तभी महाभारत में भीष्म वाली

भूमिका राजनीति में कर रहे है दुर्योधन-दुशासन जैसे अधर्मियों का साथ देना उनकी मजबूरी है

हाल ही में मिस्र में हुई क्रान्ति से देश के राजनेताओं को समय रहते सबक लेना चाहिए

,इसी में बुद्धिमानी है . कृष्ण का वचन स्मरण करो अर्जुन …उठो ! तुम विवश नहीं हो ..धनुष

उठाओ ..अन्यथा कायरता के लिए इतिहास में तुम्हारा अपयश होगा ,अपकीर्ति होगी . धर्म की

स्थापना के लिए इन भ्र्स्ताचारियो ,जमाखोरों और अधर्मियों के खिलाफ युद्ध करो . तुम मजबूर

नहीं हो !

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