aaina
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सर्दी का सितम
इस बार कुछ ज्यादा है
उन लोगो के लिए
जो फटे चीथड़ो में
नित रिक्शा चलाते है
फेरी लगाते है
दो जून की रोटी के लिए
अपने हाड गलाते है
घने कोहरे और तेज़ हवा में
कंप कंपाते है
सर्दी का सितम
इस बार कुछ ज्यादा है
उन लोगो के लिए
जो बूड़े है ,अपाहिज है
सड़क किनारे जिनका
आशियाना है
मौत का निशाना है
सर्दी का सितम
इसबार कुछ ज्यादा है
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