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स्वतंत्र भारत में नागरिको को अभिव्यक्ति की पूर्ण स्वतंत्रता है समय -असमय ऊटपटांग ,उलजुलूल वक्तव्य देते रहना चाहिए . अपने मूलभूत अधिकारों का प्रयोग-परिछन करना प्रत्येक देशवासी का परम कर्त्तव्य है . मौसम विभाग की भविष्यवाणी भले ही कभी सच नहीं होती फिर भी भविष्यवाणी करना उनका कर्त्तव्य है .मंहगाई न हो फिर भी मंत्री जी कहते है की अभी तीन सप्ताह तक मंहगाई बढेगी,दुसरे मंत्री कहते है के इतना खाद्यान्न हुआ है की सड़ रहा है . खाद्यान्न सड़ रहा है तो न्यायालय कहता है की गरीबो में बांटते क्यों नहीं ,तो मंत्रीजी कहते है की सडा अनाज गरीबो में नहीं बांटा जा सकता . मंहगाई बढ रही है तो एक मंत्रीजी कहते हे की दो तीन महीने में मंहगाई पर काबू पा लिया जाएगा ..और मंहगाई बडती जा रही है ,,,मंत्रीजी फिर वही बयान दोहराए जा रहे हे काबू पा लेंगे …..
विपछ के राजनेता बुक्का फाड़कर चिल्ला रहे हे की काश्मीर भारत का हिस्सा
नहीं है . हमारे साले साहब कह रहे हे देखो जी यह है हमारे देश की आजादी ..कुछ भी बको कोई रोकने टोकने वाला नहीं ..
कड़क दिसंबर में दिल प्रफुल्लित हुआ जा रहा है देश के लोकतंत्र पर,देशवासियों
को संविधान प्रदत्त अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर छोटा सा दिल बल्लियों उछल रहा है . बड़ा मजा आता है टीवी पर देखकर की नित नए घोटाले हो रहे हे ,जिन्हें टाला नहीं जा सकता .
हमारे दूरदर्शी मित्र कहते हे की यह विकास का द्योतक है और अभी हमारा देश भ्रस्टाचारी देशो की सूची में भी काफी पीछे है ..लेकिन समवेत प्रयास किये जा रहे है वो दिन दूर नहीं जब हम अति विकासशील होंगे और भ्रस्टाचारी देशो का सरताज कहलायेंगे ..तब हमारे साले साहब का सीना भी गर्व से चोडा हो जाएगा .
साले साहब कहते हे की देश के कूए में भांग पड़ी है और भंगचियो की
धमाचोकड़ी का धमाल हो रहा है . तभी तो संसद का शीत कालीन सत्र बढती ठण्ड के प्रकोप से शून्य हो गया . हमारे साले साहब कुछ एसा कह रहे थे की विपछि जेपीसी मांग रहे थे और सत्ता पछ वाले नहीं दे रहे थे . अब खबर है की विपछि जनता के बीच जाकर जेपीसी की मांग उठा रहे हे .
सालेसाहब कह रहे थे के बेचारी जनता की समझ में नहीं आ रहा हे की क्या करे …..दरअसल साले साहब ने सुबह सुबह भांग की ठंडाई पिला दी है सर चकरा रहा है कुछ समझ नहीं आ रहा है साला क्या समझाना चाहता है ,जो हमारी समझ में नहीं आ रहा है ..
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