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जनयुद्ध की हुंकार

aaina
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५ अप्रैल का दिन इतिहास में दर्ज हो गया . सामजिक कार्यकर्ता अन्नाहजारे जन लोकपाल बिल की मांग को लेकर दिल्ली में आमरण अनशन पर बैठ गए . उल्लेखनीय है की ब्रस्ताचार के बिरुद्ध इस आन्दोलन को माननीय रविशंकरजी ,रामदेव सरीखे संत और अरविन्द केजरीवाल ,किरण बेदी जैसे प्रबुद्ध नागरिको का सक्रीय समर्थन है तो हजारो-लाखों आम नागरिक भी कंधे से कन्धा मिलाकर ब्भ्रस्ताचार के विरुद्ध इस जंग में शामिल है . भ्रस्टाचार के विरुद्ध “जन युद्ध ” की घोषणा और उद्बोधन में आजादी की दूसरी लड़ाई के कथन सुनकर निश्चित ही देशवासियों को गहन अँधेरे में रौशनी की एक किरण दिखाई दी है .


किसी गजल की पंक्तिया भी है की एक न एक शमा अँधेरे में जलाए रखिये सुबह होने को है माहोल बनाए रखिये .


इस दशक में यह प्रमुख उपलब्धि के रूप में रेखांकित की जायेगी के देश के संत -महात्मा ही नहीं अपितु प्रमुख बुद्धिजीवियों ने भी नासूर की तरह पक चुके भ्रस्टाचार पर समूचे देश के नागरिको के गुस्से और खीज को मुखर किया है .

आजादी के ६ दशक बाद भले ही देश में आर्थिक विकास ,सम्रद्धि और वैभव की उपलब्धिया गिनाई जाए ,किन्तु चारित्रिक-नैतिक पतन का चरम भी देशवासी देख रहे है की भ्रस्टाचार की दीमक विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र के ताने -बाने को चट कर रही है .जिसका हमला प्रतिदिन चर्या में आम नागरिक के हितो पर हुआ है -हो रहा है और आम नागरिक त्राहिमाम- त्राहिमाम कर रहा है .
योगगुरु रामदेव भ्रस्ताचारियो द्वारा स्विस बेंक में जमा देश की अकूत सम्पदा को वापिस लाने का निरंतर आव्हान कर रहे है तो अन्नाहजारे द्वारा प्रस्तावित लोकपाल बिल में न्न्यायाधीश ,प्रधानमंत्री से लेकर संत्री तक के मामलो में एक साल में निर्णय किये जाने के प्राविधान से रिस्श्वत्खोरी में निश्चित ही लगाम लगेगी और राजनेतिक,आर्थिक और सामाजिक छेत्रो में आमूलचूल परिवर्तन होगा . संभवत शहीदों के भारत का सपना साकार हो सकेगा . .

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