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गतांक से आगे ………………………………………………………………………..
मंच और मंच के सामने बैठे तमाम गणमान्य एवं ग्रामीड तुषार की चीख से सकते में आ गए .तुषार तेजी से चीखता हुआ मंच पर पहुंचा और मंचासीन रामानंद और सभी लोगो को धक्का देकर मंच से नीचे उतरने को कहा . पुलिस ने तत्काल रामानंद जी को सुरक्छा घेरे में ले लिया .
तुषार – रामानन्दजी आप की जान को खतरा है आप लोग जल्दी बाहर जाइए …
/तभी मंच पर जोर का धमाका हुआ तुषार का जिस्म धमाके से उछलकर नीचे गिरा .पूरे गाँव में अफरा तफरी मच गयी ..चीख-पुकार .लोग तुषार की और भागे ..उधर मंच के सामने खड़े कम्बल ओड़े आरपी ने रामानंद का निशाना लेकर रिवाल्वर से फायर किया ..आरपी की हरकत को महबूब मिया ने देखा और ततछन रामानंद को धक्का दिया ..
महबूब -/चीखते हुए /हटो रामा ….
/रामानंद पर चलाई गोली महबूब की बांह में लगी ..इसी छन आकाश ने आरपी पर छलांग लगा दी और आरपी से गुत्थम गुत्था हो गया ..चारो और चीख पुकार मची है .इन्स्पेक्टर और सिपाही आरपी की और भागे .आरपी ने मौका देखकर रिवाल्वर से आकाश पर
फायर करना चाहा ..जिसे अधजले तुषार ने देख लिया और गिरते पड़ते हुए अपनी रिवाल्वर से आरपी के सीने पर फायर किया आरपी कटे हुए पेड़ की तरह धडाम से गिरा और दम तोड़ गया .
उधर महबूब मिया को रामानंद जी संभालने लगे और साँची ,कामना और इन्स्पेक्टर तुषार
को सम्हालने में जुट गए ..
महबूब – /अपनी बांह से बहते हुए खून को दबाये हुए / रामा जी मुझे छोडिये पहले उस
खुदा के बन्दे को देखिये ..जिसने हम सबकी जान बचाई है ..
/आकाश तुषार को गोद में उठाये जीप की और भागता है तुषार को बेहोशी छाने लगी है /
आकाश के पीछे बदहवास हिचकिय लेते हुए कामना ,साँची ,इन्स्पेक्टर जीप की और दोड़ते है सभी गाडिया से इमरजेंसी पहुँचते है ….जहा खुशाली गाँव के ग्रामीणों सहित नगर के पत्रकार ,गणमान्य लोगो की भीड़ भी मौजूद है /
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इमरजेंसी वार्ड में गंभीर स्थिति में अधजले तुषार बेडपर है ..जिसके चारो और उसकी बहिन हिमानी ,बहनोई देवांश , दोस्त साँची ,कामना -आकाश ,रामानंद खड़े हुए है
तुषार की साँसे तेज हो चली है ….
तुषार – कामना मेम्म …का …….
आकाश – हां तुषार ..काम्नाजी यही है …
हिमानी -/तुषार का हाथ पकड़कर / तुष …ये सब क्या हो गया …..तुष ..
तुषार – /हिमानी को देखकर / दीदी ….जीजा सर …
देवांश – हा तुषार में यही हु ….घबड़ाओ नहीं ….सब ठीक हो जाएगा …
तुषार – कामना मेम ..में एक्टिंग कर सकता हु न .. कामना /रोते हुए /हां तुषार ..तुम तो
बहुत अछे एक्टर हो ..हमेशा से …तुम्हे तो एवार्ड भी मिला था ना ..
आकाश – तुषार ..मेरे दोस्त …/हाथ थामते हुए /
तुषार – दोस्त ..में डायलोग बोलू …../ऊंची आवाज़ में / तुम एक सफल विलोम हो और में
असफल कालिदास …ह़ा ह़ा ..ह़ा…/हंसने की कोशिश करता है / ठीक है ना पार्टनर
..मेरी साँची …
/साँसे डूबने लगती है /
साँची – तुषार बाबु …/जोर से चीखती है /तुमने कहा था ना की दिल की बात जुबा पर लाने
से बात झूठ हो जाती है …/जोर से चीखती है / तुम्हारी कसम में तुमसे प्यार करती
हु ../हाथ जोड़कर विनती भरे स्वर में /…..मुझे छोड़ कर मत जाओ ….प्लीज ..रुक
जाओ मेरे लिए …
/तुषार अपना हाथ साँची की और बढाने की कोशिश करता है ..और सांस की डोर टूट जाती है /
/साँची की आँखे अपार दुःख के कारण फ़ैल जाती है और हिचकी के साथ खामोश हो जाती है .
./हिमानी साँची को सीने से लगाकर फफककर विलाप करने लगती है …कामना और आकाश की आँखों से भी अश्रु बहने लगते है
महबूब – हे अल्लाह …वैसे ही तेरे बन्दे जमी पर बहुत कम है और अब तूने तुषार जैसे बन्दे को भी छीन लिया …
इन्स्पेक्टर भी अपनी केप शोक में उतार लेता है ..उसकी आँखे भी नम हो गयी है /
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शमसान घात पर तुषार की चिता को आकाश अग्नि देता है ..रामानंद ,महबूब मिया ,इन्स्पेक्टर संयम ,प्रमुख पत्रकार ,रंगकर्मी और गणमान्य लोगो सहित खुशाली गाँव के ग्रामीणों की भीड़ मौजूद है . इस अवसर पर नीहारिका ग्रुप के मालिक आरपी के पिता हरनाम सिंह भी है .
हरनाम सिंह धीरे धीरे इन्स्पेक्टर की और बढता है
हरनाम सिंह – /भावशून्य होकर / इन्स्पेक्टर साहब मुझे गिरफ्तार कीजिये ..आरपी के
सारे गुनाहों के लिए में जिम्मेदार हु ..पैसा कमाने की होड़ में में सभी मानवीय
मूल्यों को तिलांजलि दे बैठा , मेने न्याय ,क़ानून के साथ किलवाद किया है
..समाज के प्रति भी अपराधी हु ..खासकर खुशाली गाँव के किसानो का बहुत
अहित किया हे ….उनका उत्पीडन किया ….पैसे के लालच में मेने अपनी
धर्मपत्नी को खो दिया और आज आरपी को भी खो बैठा ….में अपने सारे अपराध
स्वीकार करता हु ….
इन्स्पेक्टर – तो आपने ही फोन पर बम विस्फोट की सूचना दी थी …है ना ..
हरनाम = ह़ा मुझे दीना ने आरपी की योजना बताई ..फिर मेरे पास ना तो समय था और
कोई रास्ता भी नहीं था …अपने अहंकार के लिए आरपी जुर्म के रास्ते पर बहुत
आगे बड गया था ..इसलिए …..और आरपी के साथ मेने अपने अन्दर के पशु को भी
दफना दिया है ..
इन्स्पेक्टर -/हरनाम सिंह को हथकड़ी लगाते हुए /जो लोग अपने पापो का प्रायश्चित करने
को तत्पर है उन्हें प्रभु छमा करता है ..मेने पड़ा है ..लेकिन क़ानून अपना काम
करेगा ही ….
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६ माह बाद कामना अस्पताल में बच्चे को जनम देती है …..
आकाश -/बच्चे को दुलारता हुआ / जानती हो कामना ..किसने जन्म लिया है …..
कामना – सहज दृष्टी से आकाश को देखती है /…किसने …
आकाश – तुषार ……..ह़ा इसका नाम यही है …..तुषार ….तुम्हारा एक्टर …….
……………………………………………………………………………………….समाप्त …………..
आदरणीय पाठको से निवेदन ……
ये अवश्य है की कहानी कुछ नहीं ,बहुत लम्बी हो गयी है ..लेकिन विभिन्न पात्रो के स्वछन्द आचरण इसकी प्रमुख वजह है ..अत छमा करेंगे ….और अपनी प्रतिक्रिया मेरे लिए …..ज़रूर प्रदान करे ……………………………………………..9410203171
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