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तुम्हारी कसम ! /अनकहे प्यार की कहानी /भाग ..16

aaina
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नीहारिका ग्रुप का ऑफिस .रमेश प्रताप उर्फ़ आरपी अपने शीशमहल जैसे कमरे में

रिवाल्विंग कुर्सी पर झूल रहा है .चेहरे पर अपमान जनित उत्तेजना साफ़ झलक रही है

.बेचैनी के आलम में टेबिल लेम्प के स्विच से खेल रहा है …स्विच आन होते ही कमरों में

लगे चारो और के शीशो में आरपी के प्रितिबिम्ब दीखने लगते है .कमरे का main स्विच

बंद है .१०-१५ कदम पर कोने में रखी टेबिल पर आरपी की सचिव रीना कम्पूटर पर काम

कर रही है …उसको भी आरपी की बैचेनी का अहसास है …रीना कनखियों से आरपी की और

देख रही है ..उसे पता है की मात्र उसकी वजह से आरपी अपने इरादों में कामयाब नहीं हो

सका …

/आरपी बार बार अपने दांत भींच रहा है ..चारो और के शीशो में उसके ही प्रतिबिम्ब मानो

आरपी का उपहास उड़ा रहे है …/

प्रतिबिम्ब-१- आरपी …शहर के सबसे बड़े बिल्डर हरनाम सिंग का एकमात्र वारिस

…बाजार का इतना कमजोर खिलाड़ी …एक मामूली सी लड़की कामना बार बार

उसका अपमान करती है ..तिरस्कार करती है और पराजित भी करती है …च…च

….च …यही है तुम्हारी औकात ..धत ..

प्रतिबिम्ब-२- अपनी मरी हुई माँ को क्या जवाब दोगे आरपी ..बोलो …उनके नाम पर बन्ने

वाली नीहारिका एस्टेट का क्या हुआ ..एक कमजोर बूड़े के संगर्ष ने तुम्हारे और

हरनाम सिंग ke swapn को चकनाचूर कर दिया …नहीं तो इन टुच्चे किसानो की

इतनी मजाल …वो साला मास्टर सिद्धार्थ ..तुमने तो कसम खाई थी इनको तबाह

करने की ……

प्रतिबिम्ब-३- नहीं नहीं रमेश प्रताप ..तुम गलती करते जा रहे हो ..तुम मनुष्य कहलाने के

लायक भी नहीं हो ..तुम्हारे सामने ना तो भारतीय नारी का कोई सम्मान है ना ही

सच्च्चे समाजसेवक रामानंद के आदर्शो को कोई मूल्य …जरा सोचो इन किसानो के

संगर्ष में साथ देने से रामानंद का अपना क्या स्वार्थ है …कुछ नहीं ….और मास्टर

को भी कुछ नहीं मिलने वाला है ..बस ये लोग कमजोर किसानो का साथ दे रहे है

..सच के साथ ..

प्रतिबिम्ब-२- क्यों कमजोर हो रहे हो आरपी ..ये नीतिया ,आदर्श सिर्फ किताबो की बाते है

..दिल को बहलाने के लिए ग़ालिब ये ख़याल अच्छा है ….आज के बदलते samaaj में

सिर्फ अपनी सोचो ..कैसे भी पैसा बनाओ ..ताकत हासिल करो …चारो और देखो ..हर

आदमी यही कर रहा है ..

प्रतिबिम्ब -१-तुमने कभी सोचा की होटल में तुषार केसे पहुंचा..लगता है कालेज में अपनी

पिटाई भूल गए हो ..एक बार फिर तुषार तुम्हारे मंसूबो के खिलाफ सामने आ खड़ा है

..और अब तो वो एक बड़े अखबार का पत्रकार भी है …

प्रतिबिम्ब -२-सोचो मत जो भी करना है ,,जल्दी ..नहीं तो समय बालू की तरह तुम्हारी

मुट्ठी से सरक जाएगा और तुम हाथ मलते रह जाओगे ..

रमेश /चीखता है/..बाली …./घंटी बजाता है /

/उसका बाड़ी गार्ड और ड्राइवर बाली आता है /

बाली -जी सर ….

रमेश -मुझे उस मास्टर की कुंडली चाहिए ..कब कहा आता जाता है ..क्या करता है …

बाली – ठीक है सर …
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/रात हो गयी है ..आकाश बिस्तर पर karvate बदल रहा है ..कामना भी सोने की कोशिश

कर रही है /

कामना -क्यों , क्या हुआ …आकाश नींद नहीं आ रही ..

/आकाश चुप है /

कामना /आकाश के बालो में हाथ फेरते हुए /जो हुआ उसे भूल जाओ …

आकाश /उठ बैठता है /कामना मुझे लग रहा है में कायर हु ..मेरी पत्नी से साथ कोई

बदतमीजी कर गया ..और …वो तो अच्छा हुआ मौके पर तुषार आ गया ..नहीं तो

पता नहीं ….

कामना – जो हो गया उसे भूलने की कोशिश करो ..बस यही हो सकता है …./ठंडी सांस लेती है /

आकाश -लेकिन मेरी रगों में गुस्से का लावा बह रहा है वो मुझे बैचैन कर रहा है ..मेरी

समझ नहीं आ रहा है क्या करू ..कैसे आरपी को उसके किये की सजा दू ..पिताजी को

भी कुछ नहीं बता सकता .किस मुह से बता सकूँगा ..तुमने बार बार मुझे सावधान

किया ..

कामना -खुशाली गाँव के किसानो की लड़ाई में पिताजी की भूमिका का बदला ले रहा है

आरपी और उसका बाप ..वो पिताजी को daraana चाहता है ..वो चाहता है की हम

लोग किसानो के संगर्ष से हट जाए ..और उन निरीह किसानो की जमीनों पर

नीहारिका एस्टेट का बोर्ड लग जाए ..किसानो से उनकी जमीने कोडियो के भाव खरीद

कर भारी मुनाफा कमाने पर नजर है आरपी और हरनाम सिंग की ..

आकाश -कामना इस आन्दोलन में ,में भी किसानो के साथ हु ..आज तक अपने जीवन को

कोई अर्थ नहीं दे पाया हु ..पैसे ,लक्स्जरी और शोहरत कमाने में इतना मशगूल हो गया

था की पिताजी के आदर्श मूल्यों को भूल ही गया था ..भूल गया था की समाज और देश के

लिए भी हमारी कोई जिम्मेदारी है ..अपने लिए तो जानवर भी जी लेते है ..

कामना /एकटक आकाश को देखते हुए /आकाश शादी के बाद आज पहली बार तुम्हारे

भीतर किसी पुरुष की सत्ता देख रही हु ..पूर्ण पुरुष वही है जो निरीह और कमजोर लोगो

का सहारा बने ,उनके होंठो की मुस्कराहट के लिए जान की बाजी लगा दे ..आकाश कितने

आत्म संतुस्त्ती मिलती है जब हम किसी अंधे को रास्ता पार कराते है ..किसी कमजोर

निरीह भूखे व्यक्ति को भोजन कराते है और उसके हाथ हमारे लिए दुआ के लिए उठते है ….

आकाश /कामना को बाहों में भर लेता है / …हां कामना ……
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क्रमश …शेष अगले अंक में ……

नोट —इस पूरी कहानी में वर्णित सभी पात्र ,स्थान एवं घटनाएं पूर्णत कल्पित है ,जिनका वास्तविकता से कोई सम्बन्ध नहीं है .

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