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तुम्हारी कसम ! /अनकहे प्यार की कहानी /भाग -4

aaina
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रविवार का दिन . दयाप्रकाशजी सुबह की सैर करके लोटे ,तब तक अखबार आ गया

था .बाहर लान में कुर्सी पर बैठकर चाय की चुस्कियो के बीच अख़बार देख रहे थे

कामना का फोटो देखकर चोंक गए .**जीसी कालेज की टोपर कामना** शीर्षक से

समाचार था . उन्होंने पत्नी को जोर से आवाज दी और कामना को जगाने को कहा

. ना नुकुर करती कामना अलसाई सी उठी .

दया – कामना …देखो तुम्हारा फोटो छपा है ..

कामना – मेरा फोटो /कामना ने तेजी से अखबार देखा और ख़ुशी से उछल पड़ी /

कामना – जरुर तुषार की करामात है ..उसने ही छपवाया है मेरा फोटो उसके ही पास

था /

/तभी कामना का मोबाइल बज उठा और साँची का फोन आया और फिर लगातार

बधाई देने वालो का तांता लग गया ..आखिर में उसने तुषार को फोने किया /

कामना – हेलो तुष ..तुमने अखबारबाजी कर ही दी ..और मेरा फोटो क्यों लगाया ….
.
तुषार – भाई तुमने टॉप किया है तो अखबार की खबर तो बनती है ना ..इसलिए
..
कामना – तुष तुम नहीं सुधरोगे ..इतनी बड़ी खबर लिखने की क्या जरुरत थी की

मेधावी , दर्जनों नाटको की निर्देशक …

तुष -भाई मेधावी तो हो ही और नाटककार भी तो इसमें गलत क्या है

कामना – ठीक है बाबा ..लेकिन कुछ ज्यादा ही तारीफ़ हो गई ..बहुत धन्यवाद ..हां

तुम्हारी काफी ठंडी हो रही है ..आ जाओ तभी कान पकड़ेंगे तुम्हारे ..पता है

पिताजी नाराज हो रहे है फोटो के लिए ..
.
तुष – फिर तो काफी कभी बाद में …

/इसी समय कामना के घर आकाश की बुलेट धक् धक् करती हुई रुकी /

कामना – अच्छा तुष ..अगेन थेक य फिर बात करते है

दया – आओ आकाश बेटा सुबह सुबह कैसे .
.
आकाश -अंकल अखबार देखा तो कामना का फोटो देखा अब तो बहुचर्चित हो गयी

आपकी लाडली

दया -/हँसते है /आओ आओ बेठो …

कामना – गुड मार्निंग आकाश ..में चाय लाइ ..

दया – आकाश बेटा तुम्हारे पिताजी से बात करना चाहता हु ..कब मिल सकते है ..

आकाश -/तेजी से /अरे ..क्या बात कर दी आपने ..अभी चलिए ..

दया – बेटे कल रात में और तुम्हारी आंटी तुम्हारे बारे में ही बात कर रहे थे .में भी

रिटायर हो रहा हु ..सोच रहा हु की कामना का विवाह हो जाए तो ..

आकाश -/उनकी मंशा भापकर /अंकल में खुद आपसे बात करना चाहता था ..पिताजी

तो कई लडकियों की फोटो लिए मेरे पीछे पड़े है …में कामना के बारे

में आपसे कहना चाहता था ..लेकिन हिम्मत नहीं पड़ रही थी की आप

क्या सोचेंगे ..

दया -/एकदम खड़े हो जाते है.ख़ुशी से उनका चेहरा दमक उठता है/ .बेटे

आज इश्वर बहुत मेहरबान है ..तुमने तो मेरा सपना सच कर दिया ..

/तभी कामना चाय लेकर आती है /

कामना -कौन सा सपना सच हो गया पिताजी ..

दया -/मन ही मन मुस्कराते हुए /अच्छा तू अन्दर जा ..तेरे मतलब की

बात नहीं है ..

आकाश – /कामना को देखकर ..जल्दी से चाय गटकता हुआ /अच्छा अंकल चलता

हु ..कल आऊंगा ..आप सुबह तैयार रहिएगा …अच्छा कामना …

/तेजी से बुलेट स्टार्ट करता हुआ निकल जाता है /

कामना – क्या बात है पिताजी ..मुझसे क्या छिपा रहे है ..बताइये ना..कल

कहा जाना है .
.
कामना की माँ – आकाश के पिताजी से बात करने के लिए

कामना – किस मामले में ..कोई ऑफिस का काम ..

दया – ऑफिस का नहीं ..घर का काम अपनी इस गुडिया के ब्याह के बारे

में ..बात करने के लिए

कामना ../एकदम चोंकती है / ..मेरी शादी अभी..पिताजी इतनी जल्दी नहीं ..में

पड़ना चाहती हु ..अभी शादी वादी नहीं ..

दया – कामना बेटे देखो इस साल रिटायर हो रहा हु और आकाश जैसा लड़का कहा

मिलेगा ..रही आगे पदाई की बात तो शादी के बाद भी पड़ सकती हो ..

कामना – आकाश के साथ ..पिताजी मेने कभी सोचा भी नहीं ..

कामना की माँ – कामना देखो घर की हालत तुम देख ही रही हो ..ये रिटायर हो

जायेंगे ..तो ..देखो बेटा आकाश के यहाँ राज करोगी बहुत भले

लोग है ..ना मत करो बेटी अपने पिताजी की और देखो ..

कामना -/अपने आंसू छिपाती हुई तेजी से अन्दर भाग जाती है /

दया – /ठंडी सांस लेते हुए / सुधा आज तो मंदिर में प्रसाद चड़ा

देना ..बहुत शुभ दिन है .
…………………………………………………………………………………………………
पुराने रईस रामानंद रस्तोगी ,विधायक रह चुके है .बहुत ही भले

गणमान्य नागरिको में उनकी गिनती होती है .अनाथालय ,पुस्तकालय,सामजिक और

सांस्कृतिक संस्थाओं से जुड़े है .राजनीति में भी उनके कार्यकाल में बेदाग़ छवि रही

है .सुबह से शाम तक उनसे मिलने वालो की भीड़ उनकी विशाल कोठी में जुटी रहती

है .गायत्रीदेवी जैसी धर्म परायण पत्नी का समय भी प्राय पूजापाठ और सत्संग सभाओं

में बीतता है .अनाथालय के व्यवथापक मासिक छाडे की रकम का हिसाब किताब

दिखाकर निकले ही थे की उनका एकमात्र पुत्र आकाश दयाप्रकाश्जी को लिए ड्राइंग

रूम में दाखिल हुआ ..दयाप्रकश्जी को देखकर रामानंद जी ने दोनों हाथ जोड़कर

उनका अभिवादन किया

रामानंद – /खड़े होकर स्वागत करते हुए /आइये दयाप्रकाश जी स्वागत है ..कृपया

बैठे ../आकाश से /जाओ बेटे अपनी माँ को बेजो ../दयाजी से /आकाश कई

बार आपका जिक्र कर चूका है ..में खुद आपके यहाँ आना चाहता था ..

दयाप्रकाश -क्यों शर्मिंदा कर रहे है रामानंद जी ..कल ही आकाश बाबु से बात हुई तो

साहस करके आपके दरबार में हाजिर हुआ हु ..

रामानंद -देखिये आप कुछ ज्यादा ही ओपचारिक हो रहे है ..में सीधे ही बात पर

आता हू ..कामना बेटी को मेने देखा है ..बहुत ही प्रतिभाशाली और सुन्दर गुडिया

है ,आकाश उससे प्रभावित है ,,आप अनुमति दे तो आकाश के लिए ..

दयाप्रकाश -/हाथ जोड़कर कड़े हो जाते है /अरे आप तो सब पर कृपा करते है ..हम

छोटे लोग है मामूली ..

गायत्रीदेवी /प्रवेश करते हुए /किस तरह की बाते कर रहे है आप …आप पर तो

परमात्मा मेहरबान है जो कामना जैसे सुशील,गुनी कन्या उपहार में दी

है /मिठाई की प्लेट आगे बढाती हुई /पहले आप मिठाई खाइए और विवाह

की तय्यारिया शुरू कीजिये ….

दयाप्रकाश – ..जी /एकदम हतप्रभ हो जाते है /

रामानानद – और देखिये किसी तरह की और बातचीत नहीं ..हम चाहेंगे की आर्य

समाज मंदिर में ही सब कामकाज हो जाए ..बिलकुल सादासमारोह .तारीख

आप बता दीजिये..

गायत्रीदेवी – हा ..दयाप्रकाश जी लेकिन जितनी जल्दी हो सके ….आप चाहे तो

देवठान की तिथि अत्यंत शुभ रहेगी ..अपने परिजनों से बात करके

बता दे /आकाश से /…..क्यों आकाश ठीक है न ..

आकाश – अब आप बड़े लोगो के बीच में में क्या बोलू …

रामानंद – अच्छा बेटा दिन रात कान खा रहा था ,अब छोकरियो की तरह

शर्मा रहा है .. ..

/सभी हंस पड़ते है /

दयाप्रकाश -बहन जी मेरे पास जो पानफूल है बेटी के लिए ..

गायत्रीदेवी -अब में आपको समधीजी कह सकती हु तो कृपया हमारा इतना

मान -सम्मान जरुर रखियेगा की दहेज़ के नाम पर सिर्फ और सिर्फ कामना

जैसी देवी को प्यार से विदा कर दीजियेगा जिससे हमारा घर परिवार

उसकी सुगंध से महक उठे ..

रामानंद – /हाथ जोड़कर/ दयाजी आपसे विनती है की विवाह को लेकर बिलकुल

परेशान ना हो ..नहीं तो हमको बुरा लगेगा ..

दयाप्रकाश -मेरे पास शब्द नहीं है ..में क्या कहू ……..

गायत्रीदेवी -/आकाश से /बेटे जाओ समधीजी को घर छोड़ आओ .और हा बहन

जी और कामना बिटिया का मुह जरुर मीठा करा देना /मिठाई के

डिब्बे देती है /

रामानंद -अब तो गले मिल लीजिय समधी साहब

/दोनों गले मिलते है दयाप्रकाश जी की आँखे भर आई है /
…………………………………………………………………………………………………

उधर कामना के यहाँ तुषार और साँची पहुँच जाते है ,तुषार के

चेहरे पर उदासी छाई है .बाहर ही कामना की माँ सुधाजी कड़ी है ,तुषार

उनके पाँव छूता है और बाहर ही लान में कुर्सी पर बैठ जाता है ,साँची

अन्दर कामना से मिलने जाती है .

सुधाजी – और तुषार बेटे कैसे हो ..कैसे आना हुआ ..

तुषार /उठते हुए /माँ जी में बाबूजी से बात करने आया हु ..

सुधाजी -वो तो आकाश के यहाँ गए है ..आते ही होंगे काफी समय हो

गया ..कोई ख़ास काम है क्या ..

तुषार – माँ जी सुना है आपलोग कामना की शादी करने वाले है ..

सुधाजी – सोच तो रहे है तुषार ..तुम्हारे अंकल रिटायर हो रहे है तो जितनी

जल्दी हो सके कामना के हाथ पीले हो जाए अच्छा है ..

तुषार – माँ जी ..मेरे पापा नहीं है नहीं तो वे ही आते ../सकुचाते हुए /

में कामना से शादी करना चाहता हु और शायद कामना भी ..

सुधाजी -/एकदम खड़ी हो जाती है / क्या कह रहे हो तुषार ….
.
तुषार ..हा माँ जी हम दोनों एक दुसरे को अच्छी तरह समझते है और मुझे

लगता है कामना भी ..

सुधाजी -तुषार तुम पगला गए हो शायद किसी की लड़की के लिए इस तरह

की बात नहीं करनी चाहिए ..में तुम्हे ऐसा नहीं समझती थी /क्रोधित

होते हुए /

/ तब तक कामना और साँची अन्दर से बाहर आ गयी है /

तुषार – कामना जी आप बताइए न माजी को …

सुधाजी -मेरा ख्याल है इस समय तुम्हे यहाँ से चले जाना चाहिए ,,

तुषार – आप एकबार कामना जी से तो पूछ लीजिये ..

सुधाजी – मेने कहा ना ..

तुषार – /कामना से /कामना जी आप .
.
कामना /कमजोर स्वर / तुषार प्लीज …

तुषार ..लेकिन ..

सुधाजी -/ऊंचे स्वर में /तुमने सुना नहीं तुषार में क्या कह रही हु ..अभी

कामना के पिता आते होंगे …तुम जाओ यहाँ से ..

तुषार – में अंकल से बात किये बगैर नहीं जाऊँगा ..

कामना –/अनमने भाव से / …..जाओ तुषार …

तुषार – में तुम्हारे बिना नहीं रह सकता कामना ..

कामना –मेने कहा जाओ यहाँ से ……/रोते हुए अन्दर भाग जाती है /

तुषार / चीखता है / कामना ……
.
सुधा जी –साँची इसे ले जाओ इसका दिमाग ठिकाने नहीं है ..

तुषार …माँ जी मेरी बात ..

/साँची तुषार का हाथ खींचते हुए बाहर ले जाती है /

9410203171

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