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तुम्हारी कसम ! /अनकहे प्यार की कहानी /भाग-3

aaina
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तुषार अपनी बड़ी बहिन के विवाह के अवसर पर क्लास के सभी मित्रो को

आमंत्रित करता है . कामना ,साँची और अन्य मित्र पास के शहर गाजिअबाद जाते है

विवाह के सभी आयोजन एक होटल में ही होने है . बरात आगमन से काफी पहले

तुषार के सभी मित्र होटल पहुँच जाते है जहां महिला संगीत एवं विवाह की अन्य

रस्मो रिवाज संपन्न हो रहे है . होटल के गेट पर कामना और सभी मित्र मिनी बस से

उतरते है, जहां तुषार उनका गर्मजोशी  से स्वागत करता है . तुषार कामना ,साँची

और महिला मित्रो को अपनी बहिन के कमरे में ले जाता है .

तुषार – ये है मेरी बड़ी बहिन गुड्डो ..हिमानी इसके साथ खेलकूद ,खाना-पीना

और मारपीट करते हुए में बड़ा हुआ हु ..हां खेलकूद में अव्वल है क्रिकेट में

तो    क्या कहना ..मेरी हर बाल पर चोके छक्के मारती रही है और

गुड्डो ..ये .

हिमानी – कामना और ये साँची है न …/सजी धजी हिमानी कामना साँची से

गले मिलती है /

कामना – आपको मेरा नाम ..

हिमानी – नाम अरे कामना –मेरे पास तुम्हारी पूरी जन्मकुंडली है ..तुषार तुम्हारे बारे

में इतनी बाते करता है की बस ..

/तभी तुषार की माँ और अन्य महिलाए आकर कामना और अन्य मित्रो को घेर लेती है .मिठाई की तश्तरी से मिठाई उठाकर कामना और साँची को खिलाती है ..सर पे हाथ फेरती है /

माँ – लो बिटिया -तुषार तो सुबह से तुम लोगो का इन्तजार कर रहा है ..इसका किसी

काम में मन ही नहीं लग रहा था ..तुम लोग नाश्ता-वाश्ता करो फिर महिला

संगीत का कामकाज तुम लोग संभालो ..अरे तुषार अब तो ये लोग आ गए

है चल देख हलवाई क्या कह रहा है …

तुषार – हां माँ में देखता हु …/बाहर निकल जाता है /

साँची – माजी आप बिलकुल चिंता न करे हम लोग आ गए है इसी धूम मचाएंगे

की दीदी भी याद करेंगी ..

कामना – हा माँ जी आप अपने और काम निपटाले ,हम है ना ..क्यों दीदी ..

हिमानी – सच में कामना तुषार ने जैसा बताया था तुम लोग तो उससे भी कही

अच्छे हो …तुषार के लिए तुम्हारी जैसी लड़की ही देखनी पड़ेगी…

//कामना शर्माती है ..बाकी लोग हंसने लगते है ..इस बीच तुषार अन्दर आते आते सुन लेता है ..मन ही मन मुस्कराता हुआ ठिठक जाता है /

तभी अन्दर से ढोलक हारमोनियम पर महिलाओं के गीतों के स्वर गूंजने लगते है ..कामना हिमानी का हाथ पकड़कर अन्दर महिला संगीत में ले जाती है और धूम धमाके के साथ महला संगीत शुरू हो जाता है .

शादी की रस्म रिवाज पूरे होते होते बरात आ जाती है और शादी ,खाने -पीने के कार्यक्रम गीत .संगीत नृत्य और आतिशबाजी के साथ पूरे होते है . विदाई की बेला में हिमानी को बाहों में लिए तुषार डोली की तरह सजी कार में बिठाता है ,उसके साथ माँ ,कामना,साँची और तुषार के परिजन भी है /

तुषार – /रोती हुई बहिन को हंसाने की कोशिश करते हुए /–गुड्डो ..नहीं अब

हिमानी दी कहना पड़ेगा ..तेरे पाँव भी छूने होंगे ..अब मारपीट बंद नहीं तो

जीजा सर नाराज हो जायेंगे ..देख अच्छे से रहना ,में आता रहूँगा ..और

हां तेरी पसंद की गुलाब केसर सुपाड़ी भी लाया करूँगा ..में ..अब अकेला ही

क्रिकेट खेलूँगा …/आंसू छिपा नहीं पाता ,  दिल का गुबार पिघलकर आँखों से

बहने लगता है /

हिमानी – अच्छा -मुझे रोने से मना करता है और खुद ../गले से लगाती है /-चुप हो

जा ..अभी तो तुझे ढेर सारे काम निपटाने है ..धत छोटे बच्चो की तरह रोते

नहीं अब तो बड़ा हो गया है तू ..है ना …बहिन को विदा करते हुए रोते

नहीं ..घर से ही तो जा रही हु क्या तू मुझे अपने दिल से दूर कर सकता

है ..नहीं ना ..फिर ..और फिर हम तो एक ही खून-मिटटी से बने है….

तुषार – /आंसू पोंछकर मजाक करता है /–नहीं गुड्डो सब लोग इस समय रोते

है ..इसलिए रस्म तो निभानी होती है ना….

/कामना . साँची और मौजूद सभी लोग आंसू पोंछते हुए मुस्कराने लगते है ..तभी माँ शरबत का गिलास हिमानी को पीने को deti है /

हिमानी का पति .देवांश ..अच्छा माजी …ए साले साहब .जाने दो यार ,.अब चले नहीं

तो देर हो जायेगी..

शादी के कार्यक्रम समाप्ति पर कामना और सभी साथी तुषार से विदा लेते है /
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रमेश नाटक से निकाले जाने से कामना से रंजिश रखता :है ..कुछ रंगबाज किस्म का

रमेश बड़े बाप का बेटा होने से कालेज में : उसकी धाक है . एक दिन क्लास ख़त्म

होने पर केन्टीन में कामना का रास्ता रोक लेता है /

कामना -ये क्या बदतमीजी है रमेश ..हटो सामने से….

रमेश – कामना तुम्हारी वजह से में नाटक नहीं कर सका ..तुम अपने आपको

क्या समझती हो ..तुम जैसी छोकरिया मुझे रोज लाइन मारती है ..

कामना – शाट अप . क्या लफंगों की तरह बात कर रहे हो ..तुम अछि तरह

जानते हो अगर प्रिंसिपल सर से शिकायत हो गई तो तुम्हारा क्या होगा ..में

कहती हु मेरा रास्ता छोडो ../रमेश को धक्का देती है /

रमेश -तेरी इतनी हिम्मत /कामना के थप्पड़ मारता है कामना गिरती है .

केन्टीन में चीख पुकार मच जाती है ..तभी तुषार आता है ,कामना को उठाता

है . कामना बदहवास है ,तुषार तेजी से रमेश की और झपटता है दोनों गुथम गुथा हो

जाते है ,मारपीट होने लगती है ,गुस्से में तुषार कुर्सी उठाकर रमेश के सर पर दे

मारता है ..रमेश चीखकर गिरता है ,बेहोश हो जाता है .उसके सर से खून बहने लगा

है . कालेज का स्टाफ और स्टुडेंट्स की भीड़ जमा होने लगती है .तुषार और कुछ

स्टुडेंट रमेश को अस्पताल ले जाते है ,,रास्ते में ही रमेश को होश आ गया

है .अस्पताल में सर में दवा -पट्टी बाँध कर छुट्टी हो जाती है

रमेश के पिता के रोबदाब के कारण तुषार को कालेज से निष्कासित कर दिया जात

है ..कामना और साथियो की लाख मिन्नतो के बाद भी प्रिंसिपल सर कुछ नहीं कर

पाते है .
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कामना बी ये फ़ाइनल में कालेज में टॉप करती है ..उसके घर में सब परिजन खुश

है रिश्तेदारों की भीड़ जमा है …आकाश भी कामना के पास ही खड़ा है . तभी तुषार

गुलदस्ता और कामना की तस्वीर लिए आता है ..कामना : तुषार को देखकर आश्चर्य

चकित है

कामना – थेक यु तुषार अब तक कहा थे ..क्या कर रहे हो ..मेने कितनी बार फोन

किया तुम्हारा कुछ पता ही नहीं चला ….

तुषार – कामना जी पदाई तो बंद ही हो गयी अब तो अखबार में रिपोर्टिंग कर

रहा हु ….अब तुम्हारा क्या इरादा है

कामना – एमबी ऐ करने का इरादा है ..तुषार कालेज से मेरी वजह से निकाले

गए ..सच में अपने आपको तुम्हारा अपराधी मानती हु ..

तुषार – अरे छोडिये कामना जी इस ख़ुशी के मौके पर आप क्या बेकार की बाते कर

रही है ..अच्छा हुआ अब में इग्नू से पदाई कर रहा हु ..कोई झंझट नहीं ..

तुम भी इग्नू से एमबीए करो ना …

कामना के पिता —नहीं भाई हो गई पड़ाई लिखाई ,अब तो तेरे हाथ पीले करने

है /सब लोग हँसते है /…क्यों आकाश ठीक है ना …

कामना – अभी नहीं पिता जी ……अभी तो …

आकाश – नहीं बाबूजी ..इसकी मत सुनिए …कर दीजिये हाथ पीले ,,

परिजन – लेकिन कोई लड़का तो मिले ..

कामना के पिता —है मेरी निगाह में …./आकाश की और देखता है /

कामना – अच्छा अभी छोडिये ….अभी तो भोजन कीजिये ../तुषार का हाथ पकड़कर /

आओ तुषार ..अरे हां आकाश इनसे मिलो ..मेरे कालेज के सहपाठी और बहुत

बड़े चित्रकार ..कलाकार ..

आकाश – अच्छा …में भी इनको देख रहा था ..शक्ल से ही पहुंचे हुए कलाकार लगते

है ../सब हँसते है , तुषार झेप जाता है /
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परम आदरणीय पाठको से निवेदन की कृपया कमेन्ट एवं अपने विचारों से ज़रूर अवगत कराये प्लीज ..क्योंकि कामना,आकाश ,तुषार ,रमेश ,साँची हिमानी ,कामना के पिता जैसे चरित्र अपनी स्वतंत्र भूमिका तलाश रहे है ..इसलिए आपके विचार एवं कमेन्ट कहानी को आगे बढाने के लिए बेहद आवश्यक है …..ब्रजमोहन शरद………………………………..9410203171

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