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तुम्हारी कसम ! / अनकहे प्यार की कहानी /

aaina
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सजी धजी नायिका किचिन में नाश्ता बना रही है बेक ग्राउंड में ** तुम जो मिल गए हो ये जहा मिल गया ** जैसा कोई गीत बज रहा है . चाय उबल गयी है .नायिका गेस धीमी करती है ,तभी दूसरी गेस पर आमलेट जलने की गंध उठती है ..नायिका तेजी से आमलेट पलटती है ..तभी नेपथ्य से नायक की आवाज़ आती है
** कामना मुझे देर हो रही है . देखो दस बज रहे है ** कहते हुए नायक किचिन में आता है और नायिका को पीछे से बाहों में भर लेता है .
नायिका बनावटी गुस्से से उसे छिटक देती है और तश्तरी में आमलेट रखकर नायक के हाथो में थमा देती है ….** जल्दी नाश्ता खाइए और दफ्तर जाइए **
नायक खड़े खड़े आमलेट खाकर प्लेट में सुड़क सुड़क कर तेजी से चाय गटक जाता है .
तब तक नायिका आलमारी से कोट और ब्रीफकेस निकाल कर नायक के हाथ में थमा देती है .
** तो अब में जाऊं **, नायक चुहल करते हुए कहता है ….
कामना पीछे से धक्का देती हुई कहती है …** हाँ बाबा जाओ ,देर हो रही है **
नायक हवा में चुम्मा उछालता हुआ बाहर निकल जाता है . नेपथ्य से कार स्टार्ट होने के स्वर आते है . नायिका खिड़की से झांकती है और नायक को हाथ हिलाकर विदा करती है …….

कामना गुनगुनाते हुए ड्राइंग रूम में प्रविष्ट होती है और इधर उधर बिखरा सामान सहेजने लगती है …नायक के फोटो के पास आकर रूकती है और मंत्र मुग्ध होकर उसकी और देखने लगती है . तस्वीर धुंदली होती जाती है और कामना स्मृतियों में खोने लगती है ….
कामना के बाबूजी स्कूटर पर जा रहे है तभी भीडभाड वाली सड़क पर एक कार तेजी से आती है और स्कूटर में टक्कर लगती है कामना के बाबूजी सड़क के बगल में बनी उबड़ खाबड़ जगह में लुदकते जाते है ,लहुलुहान हो गए है .तभी राहगीरों की भीड़ उनके आसपास जमा हो जाती है ,एक सुन्दर सा युवक मोटर साईकिल रोकता है और बेहोश पड़े वृद्ध को ओटो में रखकर पास के अस्पताल ले जाता है ,खून काफी बह गया है ..उनको खून की जरुरत होती है युवक खून देता है .दो घंते बाद उनको होश आता है ..उनके बताए नंबर पर फोन करता है
–हेलो ..हा में जय हॉस्पिटल से बोल रहा हु ..
कामना घबडा जाती है …हां कहिये …आप ?
नायक ..दया प्रकाशजी ……
कामना ….. हा हा क्या हुआ बाबूजी को …आप ?
नायक – घबराइये नहीं उनका एक्सीडेंट हुआ था अब ठीक है ..आप जल्दी आ जाइए .
कामना और उसकी माँ बदहवास स्थिति में ओटो करके अस्पताल पहुँचती है . अस्पताल के कमरे में नायिका के पिता बेड़ पर अधलेटे है , ड्रिप लगी हुई है . पास ही एक सुन्दर युवक बैठा है .
……बाबूजी ….कामना चीखती हुई कमरे में आती है . ….ये क्या ..कैसे ..
बाबूजी कोशिश करते हुए उठते है …..कुछ नहीं बेटा स्कूटर पर पीछे से कार वाला टक्कर मार गया …मुझे पता नहीं ..फिर यहाँ होश आया ..यह भैयाजी भगवान् बनकर आये और मुझे बचा लिया
नायक – अरे आप कैसी बात करते है अच्छा बताइए अगर मेरे पिता के साथ ऐसा वाकया होता तो …और फिर इंसानी फर्ज भी कुछ होता है की नहीं ..अब आप ठीक है .
कामना की माँ – बेटे तुम्हारा एहसान हम कैसे चुकायेंगे .
/कामना युवक की और कृतघ्नता से देखती है और दोनों हाथ जोडती है /

तभी डाक्टर आता है ..ड्रिप हटाता हुआ …..अब कैसे है आप …ये दावा लिखदी है ,,चोट के लिए तीन दिन दवा ले लीजिये ..बस आप घर जा सकते है ..
नायक – में ओटो लेकर आता हु ….कहा रहते है आप ?
नायिका – प्रतापनगर ..पोस्ट ऑफिस के पास ..चलिए में भी चलती हु दवा भी लेनी है ..
/ नायक और कामना बाहर आते है /

कामना – हम लोग आपके बहुत आभारी है .आपका नाम तो पूछा ही नहीं ..
युवक- में आकाश रस्तोगी ,और देखिये आभारी होने की जरुरत नहीं ..ज्यादा करे तो एक कप चाय पिला दीजियेगा ..बस ..और ज्यादा मेहरबान हो तो बिमा पोलिसी करा ले .पहली किश्त में ही भर दूंगा …. ..आप
कामना ../हँसते हुए/ में कामना ,बी ऐ फ़ाइनल कर रही हु …जीईसी कालेज से ..
आकाश ..मेने भी बीए यही से किया है … कमाल है आपके और मेरे विचार ही नहीं कालेज भी एक ही है ….

/दोनों हँसते है /

कामना के स्वप्न को मोबाइल की तिनतिनाहट तोडती है ..कामना तेजी से मेज पर रखे मोबाईल को उठाती है ….हेलो ….
उधर से …..कामना ..में ..
कामना ..कौन ? में पहचानी नहीं आपको कौन है आप ?
उधर से ..अपने दोस्त को नहीं पहचान रही है आप …जबकि हम है क़ि इतने साल बाद भी आपका फोटो पर्स में लिए घूम रहे है …
कामना …तुम …/ माथे पे पसीने क़ि बूंदे थिरकने लगती है ..जुबान लडखडाती है /
तुम …..फोन क्यों किया तुमने ..
उधर से ..हां सही पहचाना आपने हम है तुषार …
कामना ….मुझे फोन करने का मतलब ..क्या ये शरीफों का तरीका है
तुषार…जानेमन तुमने मुझे शरीफ कैसे समझ लिया ..
कामना ….मतलब क़ि बात करो तुषार
तुषार …मतलब क़ि बात फोन पर नहीं क़ि जा सकती …शाम को मिलो
कामना …कभी नहीं ..देखो ये अच्छा नहीं है ..अब हमारे बीच कोई रिश्ता नहीं है …अगर तुम नहीं माने तो में पुलिस को रिपोर्ट करुँगी ..
तुषार …..शाम को तीन बजे ..रामलीला मैदान में मेले में .हाथी वाले कटघरे के पास में तुम्हारा इन्तजार करूँगा …और हा चाहो तो पुलिस को रिपोर्ट कर सकती हो …..
कामना …सुनो …/दूसरी और से फोन काट दिया गया है .
/कामना हतप्रभ ..पसीने से तरबतर ..निढाल होकर सोफे पर लगभग टूट कर गिरती है /…..पेंडुलम वाली घडी टिक टिक कर रही है ….जो एक बजा रही है /
क्रमश ………….अगले अंक की प्रतिच्छा करे /कृपया अपने विचारों से अवगत कराये /

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