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तुम इतनी अच्छी क्यों हो कविता …क्यों तुम्हे बार -बार देखने को जी चाहता
है .. हर बार तुम्हे ये कहने को दिल ने चाहा है ,लेकिन न जाने क्यों दिल की बात
जुबा तक आते आते होंठ सूख जाते है ..और में निरीह हिरन के शावक की तरह
टुकुर टुकुर तुम्हे निहारता रहता हु . तुम मेरे दरवाजे के सामने से हर रोज
गुजरती रही हो में किसी न किसी बहाने दरवाजे तक आता हु और बस यु ही लान
में लगे गुलाब के पोधो से छेडछाड करता चोरी छिपे निगाहों से तुमको देखने की
कोशिश करता हु . अनजाने में यदा कदा जब भी तुम्हारी निगाह मेरी और उठती है
तो सहम कर नज़रे चुरा लेता हु .
फिर तुम कालेज से लोटती हो तो अपनी बाईक साफ़ करने के
बहाने दरवाजे के बाहर आता हु और बाईक साफ़ करते तुम्हारा इंतजार करता
हु …तुम मेरी पीठ पीछे से अपने घर की और मुड़ जाती हो ..तुम्हे बिना देखे हुए भी
मेरा दिल धड़क -धड़कता रहता है .
पता नहीं ये ख़त जो तुम्हे लिख रहा हु तुम तक पहुंचेगा या
नहीं …कैसे पहुंचाऊंगा ,इतनी हिम्मत कहा से juta सकूँगा . जब आँख उठा कर
तुमको देख नहीं सका हु तो फिर ….
हा सपनो में तुम्हे जी भरके देख पाता हु . कई बार तुम्हारा रास्ता रोककर तुमसे
कहा है की में तुम्हे बहुत बहुत चाहता हु ..तुम्हारे बिना जी नहीं सकूँगा …और तुम्हारी
नज़र मेरी और उठी है ,तुम्हारे चेहरे पर लाज की लालिमा छा गयी और तुम मुस्कराकर
बगल से निकल गयी हो …और मेरा रोम रोम पुलकित हो उठता है …
भले ही तुम और में एक जात के नहीं है .लेकिन इससे क्या होता है ..दोनों पड़े लिखे
है ,समझदार है ..अपनी जिंदगी का फैसला खुद कर सकते है फिर जाती धर्म जैसी
मध्ययुगीन कुरीतिय हम दो प्रेमियों के बीच में दिवार क्यों हो सकती है . क्या २१वि सदी के
ज़माने में भी हम इन खोखले रीतिरिवाजो के खूंटे से बंधे रहेंगे …नहीं…
मेने अपने मातापिता से अपने दिल की बात कह दी है ….साफ़ कह दिया है की में
तुम्हारे बिना नहीं रह सकता . उनके लाख कहने पर की हम ऊँची जाति के है ,ये संभव नहीं
है . मेने यहाँ तक कह दिया की में कही और विवाह नहीं करूँगा .
तुम कहो तो में तुम्हारे माँ बाप से बात करू …जानता हु वे अत्यंत संकीर्ण
विचारधारा के है और कट्टर भी ..अपने समाज से बंधे हुए . मुझे
लगता है की मेरे समझाने पर वे मान जायेंगे नहीं तो हम मंदिर में ya कोर्ट में
शादी कर लेंगे …कही और किसी शहर में चले जायेंगे दोनों पड़े लिखे
है ..कही नोकरी करेंगे और अपनी तरह खुशहाल जिंदगी जियेंगे ..हमको
अपनी तरह जीने का पूरा हक है .
क्या तुम किसी और से विवाह कर सुखी रह सकती हो ..मुझे लगता है की नहीं
..यदि तुम्हारा विवाह तुम्हारी मर्ज़ी के बिना हुआ तो तुम बस ऐसे ही सामान्य जीवन जी
पाओगी . मनचाहे साथी न होने पर क्या सच्ची में उसकी और देखकर खुश हो सकोगी .
…शायद नहीं . एक जूठी मुस्कान से अपने पति का स्वागत करोगी . ….में इस जूठ का
लबादा ओड़कर अपने जीवन साथी के साथ धोखा नहीं करूँगा .
तुम कहो तो में ……
…. ……. ……. ……
ये ख़त अनजाने ही कविता के मातापिता के हाथ पड़ गया
और मोहल्ले में जैसे कोहराम मच गया . कविता के पिता धनञ्जय के घर
आकर काफी कुछ गालिगलोज कर गए . धनु अपने मातापिता से अपमान
से आहत हो गया ..होंठ भींच कर चुप रहा और गुस्से को पी गया .कविता
के पिता दो तीन लोगो के साथ आये थे और धनु के परिजनों को धमका
कर चले गए . उनके जाने के बाद धनु के पिता ने धनु को काफी बुराभला
कहा और उसे अपमान के लिए ज़िम्मेदार बताया .
इस अप्रत्याशित घटना के बाद से धनु प्राय घर में चुप ही रहता ..और अब उसके
दरवाजे के सामने से कविता भी कभी नहीं गुजरती …उसने रास्ता बदल लिया ..रास्ते में
उससे भेंट भी हुई तो धनु ने कविता के चेहरे पर मुस्कराहट नहीं देखी , जो स्वभावत हर
समय उसके चेहरे पर होती थी .बस नज़रे झुकाए उसके पास से गुज़र गयी . धनु को लगा
कि कविता पहले से कुछ कमज़ोर हो गयी है .
….और एक दिन कविता के घर पर टेंट लग गया ..पता करने पर मालूम हुआ की
उसकी गोद की रस्म का आयोजन है . धनु पर मानो पहाड़ टूट कर गिरा …उसने अपने
आपको कमरे में बंद कर लिया .
तभी कविता के घर से चीख – पुकार सुनाई दी .मोहल्ले के सभी लोग वहा एकत्रित
हो गए . मालूम हुआ की कविता बेहोश हो गयी थी …आनन् -फानन में कविता को परिजन
पास के अस्पताल ले गए . डाक्टरों ने जांच के बाद बताया की उसे पीलिया है ,हिमोग्लोबिन
की मात्र अत्यंत कम पायी गयी . कविता के माँ बाप अपनी एकमात्र संतान की
गंभीर स्थिति देखकर विलाप करने लगे . मोहल्ले के सभी लोग भी दुखी
हुए ..क्योंकि कविता के हंसमुख और सीदे सादे स्वभाव से सभी लोग उसकी
प्रशंसा करते थे .
कविता की गंभीर स्थिति को देखकर गोद की रस्म करने आये सभी लोग नाक भो
सिकोड़ कर चले गए थे . धनु कविता के परिजनों की न नुकुर और असंतोष को नजर अंदाज
कर दिन रात कविता की देखभाल में जुटा रहा . डाक्टरों की सलाह पर कविता को खून की
जरुरत भी हुई तो धनु और उसके मित्रो ने खून भी दिया . 15-20 दिन बाद कविता की
सेहत में क्रमश सुधार होने लगा
. एक दिन अस्पताल में कविता के पास सिर्फ धनु ही था …धनु ने कविता का
हाथ अपने हाथ में लेकर मुस्कराते हुए पूछा …तुम कहो तो …….
— और मुरझाई हुई कविता की आँखे भर आई उसनेअपने आंसू छिपाने के लिए
मुह फेर लिया .
कविता का अभी अभी तय हुआ रिश्ता टूट चूका था . इससे कविता के परिजन
और हताश हो गए ….जिस दिन कविता को अस्पताल से छुट्टी मिली उस दिन हिम्मत
करके धनु ने कविता के पिता से कविता से ब्याह करने की इच्छा व्यक्त की और यहाँ तक
कह दिया कि भीख में ही सही अपनी बेटी मुझे दान कर दीजिये …में कविता को ज़माने की
सभी खुशिया दूंगा ..
. इससे पहिले कि कविता के पिता इनकार करते कविता की माँ ने धनु के जुड़े हाथ
थाम लिए और अश्रुपूरित नेत्रों से उसके सर पर हाथ रखकर बोली ..बेटे ..तुम्हारा अहसान
है हम पर …हमारे परिवार पर …मुझे रिश्ता मंज़ूर है .
धनञ्जय ख़ुशी से रो उठा …
ठीक एक माह बाद मोहल्ले में धनु और कविताका ब्याह धूम धाम से संपन्न हुआ .
………………………………………………..brajmohan sharad ..9410203171
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