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आमीन ! एक आतंकवादी /kahani/

aaina
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हा उसका नाम आमीन था . अनीस का सगा छोटा भाई . अनीस को अब्बा ने

बताया था हिंदुस्तान के विभाजन के वक़्त उनके भाई काले खान अपनी ओरत के

साथ पाकिस्तान चले गए थे . वहा पान की दूकान करते करते छोटा सा घर बना

लिया था . आज़ादी के २० बरस बाद तक खतोकिताबत होती रही इस बीच एक बार

काले खान हिंदुस्तान अपने परिजनों से मिलने आये . उनके कोई औलाद नहीं थी .

अनीस के पिता को अनीस की पैदाइश के १५ साल बाद एक बेटा और बेटी हुए थे .

जाते जाते काले खान काफी मिन्नत कर अनीस के छोटे भाई आमीन को गोद लेकर

पाकिस्तान चले गए . फिर उनकी और से कोई खबर नहीं आई .

इधर अनीस के अब्बा का टीबी की लम्बी बीमारी के बाद इंतकाल

हो गया था . अनीस पडलिख कर बैंक में नोकरी करने लगा . अनीस और बहिन

का ब्याह हो गया और दोनों के बाल बच्चे पड़ रहे थे . अम्मी भी बूड़ी हो चली

थी ,लेकिन ७५-80 साल की उम्र में भी बिना सहारे के चल फिर रही थी . अक्सर

अपने छोटे बेटे आमीन की याद में आंसू बहती रहती थी ..पता नहीं कैसे होगा ..कहा

होगा
.
इधर भारत अधिकृत काश्मीर में दिनोदिन पाक घुस्पेठिये

आतंक फैला रहे थे .पुलिस – सेना के जवान कभी कभार उनके घरो की भी तलाशी

लिया करती है . पाक घुस्पेठिये की करतूतों का खामियाजा भले मानुस मुस्लिम

परिवार क्या बचे खुचे हिन्दू परिवार भी भुगत रहे है .

अनीस और उसके दोस्त अक्सर बातचीत में कहा करते थे

की हरामियो ने ज़न्नत को दोज़ख बना दिया है . कुछ दोस्त कहते थे की दरअसल

काश्मीर की ज़न्नत जैसी ख़ूबसूरत वादियों का सवाल है . आखिर ज़न्नत

किसको नहीं चाहिए धरती पर ही यदि मिल जाए तब तो क्या कहना .कुछ सिरफिरे

आतंकवादी यहाँ कब्ज़ा चाहते है . अनीस कहता था की अल्लाह की बनाई हुई इस

ज़न्नत को बुरी नज़र लग गयी है . यहाँ बर्फीली चोटिया और हरी भरी वादियों में

कभी प्यार के तराने गूंजते थे और अब .

एक दिन घनी काली अमावास की रात को उनके मोहल्ले

की गलियों में तड़ा तड गोलियों की आवाज़े गूंजने लगी . अम्मी ने अनीस के बच्चो

और बीबी को खिड़की दरवाजे बंद करने को कहा . सारे लोग बंद रोशनदानो से बाहर

टाक झांक कर बाहर की टोह लेने की कोशिश करते रहे .

अचानक उनकी छत पर धमक से किसी के कूदने

की आवाज़ आई . सभी लोग सहम गए और अनीस की ओरत की चीख

निकल गयी .काफी देर सभी लोग सांस रोक कर दुबके बैठे रहे . गलियों में

भारी बूटो की पदचाप गूंजने लगी जो क्रमश दूर होती चली गयी .

फिर हंगामे की आवाज़े खामोश हो गयी .

अनीस दफ्तर का काम लेकर पास के शहर गया

था बहिन परवीन और उसके बच्चो को लेने के लिए …देर से लोटने को कह

गया था .

तभी अनीस के बच्चे को पेशाब आया तो अम्मी

आँगन की और का दरवाजा खोलकर उसे टॉयलेट ले गयी . आँगन में

अँधेरा था . कुछ सुझाई नहीं दे रहा था

अचानक छत से कोई धमक से कूड़ा .इस्ससे

पाहिले की अम्मी की चीख निकले अपरिचित ने बच्चे की गर्दन दबोच ली

और फुसफुसाकर बोला –चुप ! चिलाना मत मेरे हाथ में रिवाल्वर है गोली

चला दूंगा . चलो अन्दर .
..
अपरिचित अम्मी और बच्चे को धकियाता हुआ

अन्दर कमरे की और ले आया ,जहाँ अनीस की ओरत और उसके गोद में

छोटी बच्ची स्तब्ध और सहमी हुई खड़ी सबकुछ देख रही थी उसकी

निगाह अपने बच्चे पर थी ,जो अपरिचित की पकड़ में रुआंसा हो चला था .

कमरे के अन्दर रखे फ्रिज से अपरिचित ने पानी

की बोतल निकाली और गटागट पी गया . पानी की बोतल रखकर पुन

उसने रिवाल्वर निकल लिया और बोला …और कोन कोन है यहाँ ?

तुम्हारे आदमी कहाँ है ?

अम्मी ने कांपते स्वर में कहा मेरा बेटा पास

के शहर गया है . लोटने वाला ही होगा .

…मुझे कुछ खाना चाहिए ,जो भी हो ..फिर

निकल जाऊँगा . याद रखना ज़रा भी चालाकी या आवाज़ की तो बच्चे को तो

मारूंगा ही तुमको भी उड़ा दूंगा …जल्दी ….अपरिचित बोला जो दिखने में

सुन्दर हट्टा कट्टा लेकिन रूखे बाल ,गन्दा बदन .पुराने कपडे पहने हुए

था
.
डरी सहमी अनीस की बीबी ने अनीस के लिए

रखे चपाती और सब्जी अपरिचित के सामने रखे स्टूल पर रख दी .

अपरिचित बड़े बड़े कोर लेकर खाने लगा .

अम्मी ने पुछा ..बेटा कोन हो तुम ?

अपरिचित उसी मुद्रा में गुर्राया ….पाकिस्तानी .

अम्मी ने डरे स्वर में कहा ..बच्चे को छोड़

दो ..देखो सेना के आदमी गलियों में घूम रहे है ..तुमको हमारे यहाँ

देख लिया तो हमारे परिवार पर आफत आ जायेगी ..हमें बख्सो ..

चुप बुडिया .जुबान तेज़ की तो …
..
तभी अपरिचित की निगाह कमरे में लगी एक

पुरानी फोटो पर पड़ी . वो एकदम चोंका ..ये ..ये फोटो ..

सहमी हुई अनीस की बीबी धीरे से

बोली …इनके अब्बा और चाचा की है अब्बा नहीं है ..लेकिन ..

अचानक अपरिचित की पकड़ बच्चे से कम

होती गई ..बच्चा भाग कर अम्मी से जा लिपटा ..

अपरिचित आँखें फाड़कर अम्मी ,अनीस की

बीबी और बच्चो को देखने लगा
..
अम्मी अपरिचित में आये इस परिवर्तन

पर चोंकी साहस बटोरकर पुछा .क्या बात है बेटा ..?

आपलोग काले खान को जानते है….पाकिस्तान में….

अम्मी तपाक से बोली तुम काले खान को कैसे

जानते हो ..कोन हो तुम ?

– —में कालेखन का पडोसी .उसके यहाँ भी यही फोटो देखी

थी उन्होंने बताया था फोटो में उसके साथ उसके भाई है ..अपरिचित हकलाते हुए

बोला .

अम्मी ने फिर पुछा …तो तुम आमीन को भी जानते

होगे ..कैसा है वो ….

….वो वो अच्छा है अपना कारोबार कर रहा

है …कालेखा तो अब नहीं है …आमीन ने बताया था .. तुम लोगो के बारे में ….

अपरिचित असहज हो चला था .

अम्मी थोड़ी कर्कश स्वर में बोली –तुम

आतंकवादी ..यहाँ क्यों आये हो ….मुझे तुम लोगो से बेइंतिहा नफरत

है ..खूंख्वार दरिन्दे हो ….अब तक कितने लोगो को मार चुके हो ?बोलो ?

अपरिचित लगभग टूटे स्वर में बोला …मेरा

कारोबार नहीं चल रहा था …कुछ दोस्तों की सलाह पर जेहादी हो

गया ..उन्होंने मुझे यहाँ भेज दिया …

…मरने -मारने के लिए …अम्मी का स्वर कुछ

ऊंचा हो गया .
आखिर तुम्हारे मुल्क की माये कैसे अपने जिगर

के टुकडो को मरने के लिए, मारने के लिए भेज देती है ..और कैसी है

तुम्हारी बहिने …तुम लोगो ने अल्लाह की बनाई इस ज़न्नत को दोज़ख में

बदल दिया है .कुरआन में कहा लिखा है की मजबूर, मासूम लोगो का खून बहाना

जेहाद है ..अरे अपने अन्दर बैठे शैतान से लड़ने को कहते है जेहाद ….

———–जानते हो मेरी बेटी परवीन का आदमी बम विस्फोट में मारा

गया …दो बरस हो गए लेकिन परवीन के आंसू सूखे नहीं है …..

अपरिचित भोचक्का होकर सब कुछ सुन रहा था …

…अम्मी ने गुस्से में अपरिचित का गला पकड़ लिया

और फुंफकारती हुई बोली …….बताओ परवीन के आदमी ने तुम लोगो का

क्या बिगाड़ा था …बेचारा नमाज़ पड़ कर लोट रहा था ….मेरा बस चले

न तो तुम लोगो के टुकड़े टुकड़े कर कुत्तो को खिला दूं …….भाग जाओ

यहाँ से ..याद रखो तुम्हारी जगह मेरा अपना बेटा ऐसा निकल जाता तो

उसे में खुद अपने हाथो से सजा देती …. .लेकिन मेरा अपना बेटा ऐसा

दरिंदा कभी नहीं हो सकता . अपनी माँ से पूछना एक बच्चे को पैदा करने के लिए

ओरत को कितनी भारी पीड़ा से गुजरना होता है ..और तुम लोग चुटकी बजाते ही

किसी जान को खामोश कर देते हो …उफ़ !

अपरिचित की आँखे भर आई थी ..भर्राए गले से बोला ….में

नहीं जानता था की में क्या कर रहा हु …और अब कुछ नहीं हो सकता ..अब

तो …

अम्मी ने ठन्डे स्वर में कहा …अपने आपको

पुलिस के हवाले कर दो अपना गुनाह कबूल करो और सजा

भुगतो …हो सकता है खुदा तुम्हारी दुआ कबूल कर ले और तुम्हे

माफ़ कर दे …

मेने दर्जनों लोगो का खून बहाया है ..जिन्हें में

जानता तक नहीं था …..मुझे कोई क़ानून माफ़ नहीं करेगा …मार देंगे वो

मुझे …

अपरिचित पास ही रखे सोफे पर निढाल सा बैठ गया ..

.. तभी अनीस के दरवाजे पर धमाधम होने

लगी ,,जवानो के बूटो से दरवाजा भड भडाने लगा

अपरिचित के चेहरे पर हवाइया उड़ने लगी

वो बोला …आप लोग मुझे बचा लो ….में मरना नहीं चाहता …वो मुझे मार

देंगे …यह कहते -कहते अपरिचित इधर उधर छिपने की जगह तलाशने लगा .

उसने दरवाजे के पास की खिड़की धीरे से खोली उसने देखा ४–५ जवान है ,उसने

रिवाल्वर का निशाना लगाया …उसे लगा वह उनको मार सकता है …वो असमंजस में

पड़ गया ..उसने कुछ सोचकर गहरी सांस छोड़ी और रिवाल्वर की गोलिया निकालकर

पेंट की जेब में डाल ली .

तभी जवानो के भारी बूटो से दरवाज़ा टूट गया कई

जवान धड धडाते हुए दाखिल हुए उनके साथ अनीस और उसकी बहिन परवीन

भी थी …परवीन भागकर अम्मी के पास जा पहुंची

अपरिचित चारो और से घिर

गया था वह रिवाल्वर जवानो की और तानते हुए चीखा ..हट जाओ नहीं तो

सबको मार दूंगा …मुझे जाने दो हटो –सुना नहीं तुम लोगो ने …..वह और

जोर से चीखा ….मार दूंगा में ..मेने तुम जैसे ना जाने कितने लोगो की जान ली

है –हटो सामने से मुझे जाने दो …..

उसके पीछे अम्मी,अनीस की बीबी और परवीन अवाक होकर

सबकुछ देख रहे थे . .परवीन की आँखों में बम विस्फोट में मारे गए अपने आदमी की

छत विछत लाश घूम रही थी …

अचानक पीछे से परवीन ने चीखते हुए छोटी कुर्सी उठाकर

अपरिचित के सर में दे मारी ,वो लडखडाता हुआ सामने गिरा इस्ससे पाहिले वो

रिवाल्वर उठाता जवानो की कई गोलिया उसे लहुलुहान कर चुकी थी ..

अपरिचित तडपता हुआ धरती पर गिरा और अम्मी ,अनीस और परवीन

को निहारता हुआ चीखा …अम्मी ..में आमीन .! .और अपरिचित दम तोड़ गया .

अनीस और अम्मी और परवीन एकदम चोंके .विस्फारित आँखों से आमीन की लाश

देखने लगे .परवीन चीखती हुई आमीन की लाश की और भागी तभी उसे अनीस ने

पकड़ लिया

जवानो ने अम्मी से पूछा -कोंन है यह ? ..

अम्मी पथराई आँखों से आमीन के छत विछत बदन

को देखती हुई भींचे हुए स्वर में बोली …..आमीन ..एक आतंकवादी !

पुलिस के जवान ने रिवाल्वर उठाई उसे खाली देखकर

चोंका …..आमीन की तलाशी लेने पर रिवाल्वर की गोलिया निकली उनको

हाथ में लेकर अम्मी ,अनीस ,परवीन और अनीस की ओरत की और आश्चर्य से

देखने लगा …

***नोट ****पाठको से अनुरोध **कृपया इस कहानी पर अपने विचारों से ज़रूर अवगत कराये **

9410203171

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