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दादी -नानी के ज़माने से कहानी कहने और सुनने की अपनी विशिष्ट परंपरा रही
है ..जो अब लुप्तप्राय होती जा रही है ..
एक राजा -रानी थे उनकी ५ कन्याये थी ,छोटी
सबसे सुन्दर थी उसका नाम था शगुन . बचपन से ही उदास रहती थी ..कभी हंसती
नहीं थी ..बस चुप .राजा रानी ने तमाम उपाय ,इलाज ,झाड,फूँक कराइ .कोई फाईदा
नहीं हुआ ..उनके राज्य के ज्योतिषी ने बताया की इसके विवाह के उपरान्त ही शगुन
की बिमारी ठीक हो सकेगी . लेकिन शगुन से बड़ी चार अन्य बहिने थी .धीरे धीरे
समय बीतता गया चारो बड़ी बहिनों का विवाह संपन्न राजघरानो में हो गया .तब
शगुन के विवाह की चिंता राजरानी को सताने लगी .किन्तु उदास कभी न हंसने वाली
शगुन को देखने जो भी आता नापसंद करके चला जाता .इस स्थित में राजरानी
अत्यंत चितित रहने लगे .
एक दिन अचानक उनके महल में एक सुन्दर सा दीखने वाला
युवक आया और बोला की में शगुन से विवाह करना चाहता हु .राजा उसके दीनहीन
परिवेश को देखकर अत्यंत क्रोधित हुआ और बोला – तुम्हारी हिम्मत कैसे हुयी की
तुम राजकन्य से विवाह के इच्छा कर रहे हो .
युवक बोला ..में सुन्दर हु ,,शक्तिशाली हु,जवान हु ,मेहनत
परिश्रम कर अपना तथा अपने वृद्ध माता पिता का पालन कर रहा हु . मेरे माता
पिता ने मुझे आशीर्वाद दिया है की मेरा विवाह किसी राजकन्य से होगा . उनकी
मृत्यु से पूर्व मुझे उनका आशीर्वाद साकार करना है .
राजा बोला ..लेकिन तुम राजकन्य से निर्वाह कैसे करोगे .क्या
तुम्हारी कुटिया में राजकन्य रह सकेगी , कदापि नहीं . युवा बोला ..नहीं राजकन्य
महलो में ही रहेगी ..क्योंकि में अपने बाहुबल और चातुर्य से तुम्हें पराजित करूँगा
.
राजा निहथे युवक की बातें सुनकर हंस पड़ा बोला ..तुम्हारे
भोलेपन पर मुझे दया आ रही है युवक लेकिन तुम्हारी ध्रिस्टता पर बहुत क्रोधित
हु ,चाहूँ तो अभी यही तुम्हारा सर कलम कर सकता हु..
युवा बोला ..आप ऐसा नहीं कर सकते क्योंकि तुम्हारी पुत्री
की बीमारी का इलाज़ सिर्फ मेरे पास है और में उसे ठीक कर सकता हु .
राजा चकित हुआ और बोला की यदि तुम ऐसा कर
सके ..तुम मेरी पुत्री के होठो पर हंसी ला सके तो निश्चित ही अपनी पुत्री का
विवाह तुमसे कर दूंगा और पूरा राजपाट तुम्हारा ..
युवा के कहने पर राजा ने राजकन्य को बाग़ में युवक के
साथ अकेला छोड़ दिया और राजा रानी खुद पेड़ों के पीछे छुप गए .
युवक पहले तो राजकन्य से इधर उधर की बातें करता
रहा फिर एक सूखे पेड़ की पत्तियों को साफ़ कर उनपर पानी डालने लगा .
.
राजकन्य शगुन ने पूछा की ये क्या कर रहे हो ,
युवक ने बहुत गंभीरता से जवाब दिया की पत्तियां सूख रही है , हरा कर रहा
हु पानी डाल रहा हु..
अचानक राजकन्य जोर से हंस पड़ी ..हंसती चली गयी
महलों में उसके ठहाके गूंजने लगे ..राज-रानी और महल के सभी कर्मचारी
आश्चर्यचकित हो गए .
कुछ देर बाद राजकन्य सुन्दर युवक से बोली ..क्या तुम मूर्ख
हो …पानी पेड़ की जड़ो में देना चाहिए और तुम पत्तियों पर पानी डाल रहे हो .
युवक बोला ..यही बात में तुम्हारे माता पिता को बत्ताना चाहता हु की राज्य की
समृधि के लिए जनता को समृद्ध करना होगा .
इस वार्तालाप को सुनकर राजा दोनों के पास आया
बोला ..युवक तुमने मेरी आँखे खोल दी ,में सोचता था की यदि में और मेरे
कर्मचारी समृद्ध हें तो चारो और खुशहाली है ..लेकिन समृद्धि तब है जब आम जनता
खुशहाल है . तुमने raajkumari को भी ठीक किया है ..तुम चतुर ही नहीं
बहुत शक्तिशाली ,सुन्दर हो और मेरी कन्या के लिए सर्वथा उपयुक्त हो . मेरे जीवन
का भी अब वानप्रस्थ का समय हो गया है …ये राजपाट अब तुम्हारा है ……
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